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इलेक्ट्रिक कार : 42 रुपये की चार्जिंग से आप तय कर पायेंगे 100 किलोमीटर की दूरी

नयी दिल्ली : अगर आप डीजल और पेट्रोल इंजन छोड़ इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने का प्लान कर रहे हैं तो आपके लिए यह उपयोगी खबर है.दिल्ली में बिजली से चलने वाले वाहन को चार्ज करने के लिए 5.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से शुल्क का भुगतान करना होगा.इस बात की जानकारी डीडीएल के प्रबंध निदेशक […]

नयी दिल्ली : अगर आप डीजल और पेट्रोल इंजन छोड़ इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने का प्लान कर रहे हैं तो आपके लिए यह उपयोगी खबर है.दिल्ली में बिजली से चलने वाले वाहन को चार्ज करने के लिए 5.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से शुल्क का भुगतान करना होगा.इस बात की जानकारी डीडीएल के प्रबंध निदेशक प्रबीर सिन्हा ने दी है. डीडीएल वाहनों के चार्जिंग की ढांचागत सुविधा प्रदान करने वाली कंपनी है. यह टाटा पावर और दिल्ली सरकार की संयुक्त उद्यम है.

खत्म हो रहा है डीजल – पेट्रोल कारों का दौर, भारतीय वाहन कंपनियों के लिए चुनौती

अभी भारत में इलेक्ट्रिक वाहन का प्रचलन ज्यादा नहीं है. फिर भी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे सकती है. इलेक्ट्रिक वाहनों पर होने वाले खर्च के बारे में पूछे जाने पर प्रबीर सिन्हा ने कहा, एक गाड़ी को चार्ज करने में 6 से 8 यूनिट लगेगा. इसके जरिये लगभग 100 किलोमीटर तक की यात्रा की जा सकती है. इस लिहाज से आपको 100 किलोमीटर चलने के लिए लगभग 42 रुपये खर्च करने होंगे.

जल्द खरीदे जायेंगे 10,000 इलेक्ट्रिक कार
अगले तीन से चार साल में डीजल और पेट्रोल से चलने वाले सरकारी वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहन लाने की योजना है. इसके लिए सार्वजनिक क्षेत्र की ऊर्जा दक्षता सेवा लि. (ईईएसएल) 10,000 इलेक्ट्रिक कार खरीद रही है. प्रबीर सिन्हा ने बताया कि दिल्ली में हमने रोहिणी, दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर, पीतमपुरा, शालीमार बाग और मॉडल टाउन में चार्जिंग केंद्र लगाए हैं. पर अभी गाड़ियों की संख्या बहुत अधिक नहीं है. संख्या बढ़ने पर हम चार्जिंग केंद्रों की संख्या बढ़ाएंगे. वैसे हमारी अगले 5 साल में 1,000 चार्जिंग केंद्र लगाने की योजना है.
गौरतलब है कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में पूरी तरह से बदलाव की स्क्रिप्ट टेस्ला कंपनी ने लिखी है. 2003 से लेकर अभी तक बेहद कम समय में टेस्ला कंपनी ने इस दिशा में बेहतरीन काम कर पूरी दुनिया के ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के सामने चुनौती खड़ी कर दी. 2017 के शुरुआती महीने तक कंपनी दो लाख से ज्यादा कारें बेच चुकी है. अमेरिकन ऑटोमेकर, एनर्जी स्टोरेज, सोलर पैनल मैन्यूफैक्चर्र कंपनी टेस्ला धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक वाहनों की सबसे बड़ी कंपनी बनने की कगार पर है.
कंपनी को 2008 में पहली कामयाबी मिली जब उसने इलेक्ट्रिक स्पोर्ट्स वाहन बनाये. यही नहीं इलेक्ट्रिक वाहनों के इकोसिस्टम को बेहतर बनाने के लिए कई यूरोप और अमेरिका के कई जगहों पर कंपनी ने सुपरचार्जिंग सेन्टर भी खोले. छोटी-छोटी जगह मसलन रेस्टोरेंट व महत्वपूर्ण रास्तों पर भी चार्जिंग सेंटर खोले गये हैं. भारत में उस तरह की व्यवस्था अभी तक विकसित नहीं हो पायी है लेकिन सरकार भी इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर गंभीर है.

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