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फ्लैट खरीददारों के हितों की रक्षा के लिए आवास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुरू की यह पहल

नयी दिल्ली : आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी भवन निर्माण क्षेत्र की मंदी के असर से खरीददारों को राहत देने की पहल करते हुए दिवालिया संहिता में संशोधन करने का वित्त मंत्री अरुण जेटली से अनुरोध करेंगे. इससे दिवालिया होने की कगार पर खड़े बिल्डर्स की आवासीय योजनाओं में आशियाना बसाने के […]

नयी दिल्ली : आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी भवन निर्माण क्षेत्र की मंदी के असर से खरीददारों को राहत देने की पहल करते हुए दिवालिया संहिता में संशोधन करने का वित्त मंत्री अरुण जेटली से अनुरोध करेंगे. इससे दिवालिया होने की कगार पर खड़े बिल्डर्स की आवासीय योजनाओं में आशियाना बसाने के लिए निवेश की गयी खरीददारों की पूंजी को बचाया जा सकेगा.

पिछले सप्ताह कार्यभार संभालने के बाद पुरी ने दिवालिया घोषित होने की प्रक्रिया से गुजर रहे जेपी ग्रुप के लगभग 32 हजार खरीददारों के निवेश पर मंडराते संकट को देखते हुए मंत्रालय के अधिकारियों के साथ विचार विमर्श किया था.

इसके बाद कंपनी मामलों के मंत्रालय ने कंपनियों के दिवालिया होने संबंधी संहिता 2016 में संशोधन करने की पहल की है. मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि पुरी प्रस्तावित संशोधन में मंत्रालय से आवासीय योजनाओं में फ्लैट के खरीददारों के हित सुरक्षित करने के प्रावधान करने का अनुरोध करेंगे.

अधिकारी ने बताया कि पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री आवास योजना पर आहूत बैठक में पुरी ने अधर में लटकी निजी क्षेत्र की भवन निर्माण परियोजनाओं में खुद को ठगा सा महसूस कर रहे खरीददारों की परेशानी के समाधान पर भी अधिकारियों से विचार विमर्श किया.

लगभग दो घंटे तक चली बैठक में पुरी ने कहा कि वह जेपी ग्रुप के दिवालिया होने की प्रक्रिया के मामले से शीघ्र ही वित्त एवं कंपनी मामलों के मंत्री अरुण जेटली को अवगत करायेंगे और दिवालिया संहिता में संशोधन करने का अनुरोध करेंगे.

बैठक में पुरी ने स्वीकार किया कि उन्हें खरीदारों के अनगिनत संदेश मिले हैं, जिनमें कंपनियों के वित्तीय संकट का सीधा असर उन पर पड़ने का हवाला देकर मदद की गुहार लगायी गयी है.

इस बीच पुरी ने रियल एस्टेट कानून का मसौदा तैयार करने वालों में शामिल रहे शहरी विकास मंत्रालय के विधिक सलाहकारों से भी इस मुद्दे पर विस्तार से विचार विमर्श किया.

उन्होंने अधिकारियों से यह बताने को भी कहा है कि मौजूदा कानूनी प्रावधानों के तहत सरकार इस मामले में किस हद तक दखल दे सकती है ताकि जेटली के समक्ष इस समस्या के स्थायी समाधान के कारगर विकल्प सुझाये जा सकें.

हाल ही में आवासीय संपत्ति के खरीददारों के एक समूह ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर कंपनियों को दिवालिया घोषित करने की संहिता में संशोधन कर इसमें खरीदारों के हित संरक्षित करने की मांग की थी.

इनकी दलील है कि भवन निर्माण से जुड़े रियल एस्टेट (विनियमन एवं विकास) अधिनियम 2016 में भी बिल्डर कंपनियों के दिवालिया होने की स्थिति में खरीदारों के हित संरक्षित करने के कोई प्रावधान नहीं है.

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