नयी दिल्ली : दिवाला और शोधन अक्षमता कानून तथा ऐसे मुद्दों को सुलझाने के लिये सरकार की तरफ से किये जा रहे प्रयास संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों के लिये एक अच्छा अवसर है, क्योंकि दबाव में आयी इन संपत्तियों में अभी भी इनका स्वाभाविक मूल्य निहित है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज यह कहा. संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों (एआरसी) और निजी इक्विटी कंपनियों (पीई) के साथ आज यहां विचार विमर्श के दौरान वित्त मंत्री ने कहा जो भी गैर-निष्पादित संपत्तियां (एनपीए) हैं वह उत्पादक संपत्तियां हैं, यदि उनकी स्थिति में सुधार आता है तो उनसे न केवल अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा होंगे बल्कि राष्ट्रीय उत्पादन में भी उनका योगदान बढ़ेगा.
उन्होंने कहा कि इसके लिये समय पर हस्तक्षेप, पारदर्शी तरीके से मूल्य की खोज और सही प्रबंधन की आवश्यकता है. उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक की आंतरिक सलाहकार समिति (आईएसी) ने 13 जून की अपनी बैठक के बाद 12 खातों को दिवाला एवं शोधन अक्षमता कानून के तहत कारवाई के लिये भेजे जाने की सिफारिश की थी. इन खातों में बैंकों के कुल एनपीए का 25 प्रतिशत धन फंसा है. इन खातों में प्रत्येक में 5,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि बैंकों की फंसी है.
इन 12 खातों में ही बैंकों के आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक के कुल एनपीए की एक चौथाई राशि है. इसमें छह लाख करोड़ रुपये का एनपीए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का है. जेटली ने कहा कि पिछले 18 माह के दौरान जो भी नियामकीय और कानूनी बदलाव हुये हैं उनसे एआरसी के लिये काम का उपयुक्त परिवेश और पीई कंपनियों और विशेष कोषों के लिये दबाव में आईसंपत्तियों के अधिग्रहण की उपयुक्त स्थिति बनी है.
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