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इस साल खरीफ फसल के बंपर उत्पादन होने के आसार, 15 साल में पहली बार उत्तर-मध्य भारत में माॅनसून हुआ मजबूत

वाशिंगटन/नयी दिल्लीः बीते 15 दशक में एेसा पहली बार हुआ है, जब देश में खासकर उत्तर-मध्य भारत में माॅनसून मजबूत हुआ है. इसके साथ ही, देश में माॅनसून मजबूत होने से खरीफ फसलों के बंपर उत्पादन की उम्मीद काफी बढ़ गयी है. अमेरिका की प्रतिष्ठित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं की रिपोर्ट को मानें, […]

वाशिंगटन/नयी दिल्लीः बीते 15 दशक में एेसा पहली बार हुआ है, जब देश में खासकर उत्तर-मध्य भारत में माॅनसून मजबूत हुआ है. इसके साथ ही, देश में माॅनसून मजबूत होने से खरीफ फसलों के बंपर उत्पादन की उम्मीद काफी बढ़ गयी है. अमेरिका की प्रतिष्ठित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं की रिपोर्ट को मानें, तो पिछले 15 वर्षों में उत्तर मध्य भारत में माॅनसून मजबूत हुआ है. यह अध्ययन उत्तर मध्य भारत में पिछले एक दशक में कम बारिश होने की सामान्य धारणा से उलट संकेत देता है. वहीं दूसरी आेर, राज्यों से मिली रिपोर्ट के अनुसार, देश में 21 जुलार्इ तक करीब 685 लाख हेक्टेयर जमीन पर खरीफ फसलों की बुआर्इ कर ली गयी है.

इस खबर को भी पढ़ेंः 31 जुलाई 2017 तक करा लें फसल बीमा

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं के अध्ययन के अनुसार, पिछले 15 वर्षों में उत्तर मध्य भारत में माॅनसून मजबूत हुआ है. यह अध्ययन उत्तर मध्य भारत में पिछले एक दशक में कम बारिश होने की सामान्य धारणा से उलट संकेत देता है. एमआईटी में सेंटर फॉर ग्लोबल चेंज साइंस के ‘डिपार्टमेंट ऑफ अर्थ, एटमॉसफेरिक एंड प्लैनेटरी साइंसेज ‘ में एक वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक चेन वांग ने क्विनजीआन जिन के साथ मिल कर भारतीय माॅनसून पर ज्वाइंट प्रोग्राम ऑन ग्लोबल चेंज ऑफ साइंस एंड पॉलिसी के तहत एक शोध किया है, जो बुधवार को नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित हुआ था.

अध्ययन में कहा गया है कि मॉनसून की बढ़ती गतिविधि ने 50 साल की सूखे की अवधि को बदल दिया है. इस अवधि के दौरान उत्तरी और मध्य भारत में अपेक्षाकृत कम बारिश हुई है. वांग ने कहा कि लोगों को लगता है कि वे भारतीय मॉनसून के बारे में बहुत कुछ जानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. इसमें हमने उस गतिविधि की पहचान की है जो मुख्य रुप से अनदेखी रही है. एमआईटी ने कहा कि वर्ष 2002 के बाद से भारत के उत्तर मध्य क्षेत्र में बेहतर बारिश हुई है. इसका आंशिक कारण भारत के भूमि एवं समुद्र तापमान में बदलाव हो सकता है, जिसके कारण मॉनसून में बारिश बढ़ी.

वहीं, राज्यों की आेर से दी गयी रिपोर्ट में यह कहा गया है कि इस साल खरीफ फसल वर्ष 2017-18 के लिए देश के विभिन्न राज्यों में करीब 685.31 लाख हेक्टेयर रकबे पर फसलों की बुआर्इ कर दी गयी है. हालांकि, पिछले साल 21 जुलार्इ तक 673.41 लाख हेक्टेयर रकबे में खरीफ फसल की बुआर्इ की गयी थी. पिछले साल की तुलना में इस साल खरीफ फसलों की बुआर्इ करीब 11.90 लाख हेक्टेयर से अधिक रकबे पर की गयी है.

राज्यों की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 177.04 लाख हेक्टेयर पर धान की बुआर्इ, 93.36 लाख हेक्टेयर पर दलहन, 130 लाख हेक्टेयर में मोटे अनाज, 123.55 लाख हेक्टेयर पर तिलहन आैर 104.55 लाख हेक्टेयर पर कपास की बुआर्इ कर दी गयी है. हालांकि, इसके पहले 10 जून को राज्यों की आेर से दी गयी रिपोर्ट में यह कहा गया था कि देश में इस साल करीब 81.33 लाख हेक्टेयर रकबे पर खरीफ फसलों की बुआर्इ की जायेगी.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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