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मूंदड़ा प्रोजेक्ट की 51% हिस्सेदारी सिर्फ 1 रुपये में बेच रही है टाटा पावर, यह होगी डील की शर्त

टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा पावर ने 4000 मेगावॉट के मूंदड़ा पावर प्रोजेक्ट की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी सिर्फ 1 रुपये में बेचने का प्रस्ताव रखा है. टाटा पावर ने यह प्रस्ताव गुजरात जैसे राज्यों के सामने रखा है, जो उससे बिजली खरीदते हैं. घाटे से उबरने और कर्ज कम करने के लिए कंपनी ने यह […]

टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा पावर ने 4000 मेगावॉट के मूंदड़ा पावर प्रोजेक्ट की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी सिर्फ 1 रुपये में बेचने का प्रस्ताव रखा है. टाटा पावर ने यह प्रस्ताव गुजरात जैसे राज्यों के सामने रखा है, जो उससे बिजली खरीदते हैं. घाटे से उबरने और कर्ज कम करने के लिए कंपनी ने यह प्रस्ताव रखा है.

आर्थिक संकट से उबरना है मकसद

बताया जाता है कि कंपनी ने आर्थिक संकट से उबरने के मकसद से यह फैसला लिया है. इस प्रॉजेक्ट को संचालित करने वाली टाटा पावर की यूनिट कोस्टल गुजरात पावर लिमिटेड (सीजीपीएल) ने इस महीने की शुरुआत में गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड को पत्र लिखकर यह ऑफर दिया था. यह पेशकश इस शर्त पर की गयी है कि खरीदार सभी बिजली उच्च शुल्क पर खरीदे. सीईओ के मुताबिक, कंपनी पर 10,159 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है और कर्जदाता संस्थानों ने प्रॉजेक्ट में वित्तीय लाभ न देखते हुए आगे कोई राशि जारी करने से इनकार कर दिया है़

कॉन्ट्रैक्टर के तौर पर प्रॉजेक्ट ऑपरेट करेगा

कंपनी ने इस यूनिट में अब अपनी सिर्फ 49 फीसदी हिस्सेदारी बनाये रखने और एक कॉन्ट्रैक्टर के तौर पर पूरे प्रॉजेक्ट को ऑपरेट करने का प्रस्ताव दिया है. सीजीपीएल के सीईओ कृष्ण कुमार शर्मा की ओर से लिखे गये लेटर में कहा गया है कि मूंदड़ा प्रॉजेक्ट को 6,083 करोड़ रुपये की पेड-अप इक्विटी के मुकाबले 6,457 करोड़ रुपये का लॉस हुआ है. इस लेटर की कॉपी पीएम मोदी के प्रधान सचिव नृपेंद्र सचिव और केंद्रीय ऊर्जा सचिव को भी भेजी गयी है.

ऐसेउत्पन्नहुईंविपरीतपरिस्थितियां

गौरतलब है कि टाटा ग्रुप ने फरवरी 2006 में 2.26 रुपये प्रति यूनिट की दर से 4,000 मेगावॉट के इस प्रॉजेक्ट को बोली लगाकर हासिल किया था. कंपनी इस प्रॉजेक्ट को इंडोनेशिया स्थित अपनी कोयला खदानों से आयात के जरिये संचालित करने की योजना में थी. लेकिन, 2010 में इंडोनेशियाई सरकार ने कोयले के आयात को लेकर कहा कि इसके लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार के मुताबिक कीमत चुकानी होगी. इसके बाद टाटा ने सुप्रीम कोर्ट ने प्रति बिजली यूनिट की दर में इजाफा करने की मांग की थी, लेकिन उसकी इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट में खारिज कर दिया गया.

ताकि चलती रहे परियोजना

खबर है कि सीजीपीएल ने पत्र में कहा है कि कंपनी की वित्तीय स्थिति लगातार बिगड़ रही है और ऐसी स्थिति में पहुंच गयी है, जहां उसे काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. कंपनी चाहती है कि शुल्क पर फिर से बातचीत हो या बिजली खरीदार सीजीपीएल में 51 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी नाम मात्र एक रुपये में ले लें और ईंधन लागत के हिसाब से बिजली खरीद कर परियोजना को राहत दिलायें.

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