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बालेंदु शर्मा

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डाटा खपत में किफायत बरतें

हमारे देश में मौजूदा दूरसंचार ढांचा इतना सक्षम नहीं है कि वह तेजी से बढ़ी मांग का सामना कर सके और समुचित स्पीड से नेटवर्क एवं कनेक्टिविटी मुहैया करा सके.

कोरोना संकट और सूचना तकनीक

कोरोना संकट काल में दो चीजें हर आम और खास के लिए प्रासंगिक हो गयी हैं-पहली, सोशल डिस्टेंसिंग और दूसरी, सोशल मेसेजिंग. इन दोनों का असर हमारे घर, दफ्तर, कारोबार, अर्थव्यवस्था, सामाजिक जीवन, शिक्षा, यहां तक कि साहित्य-संस्कृति पर भी पड़ा है. ज्यादातर लोग अनायास ही इनके इतने निकट आ गये, हालांकि अब ऐसा लगता है कि यह संबंध लंबे समय तक चलेगा. सोशल मेसेजिंग को महज चैट के रूप में देखने की बजाय डिजिटल संपर्क के प्रतीकके रूप में देखा जा सकता है, जो अपने व्यापक अर्थों में बहुत सारी दूसरी घटनाओं को समेट लेता है, जैसे- ऑनलाइन कोलेबोरेशन, डिजिटल मनोरंजन, आभासी बैठकें, डिजिटल कारोबार और आभासी शिक्षा आदि. इस त्रासद दौर में जो चंद सकारात्मक बातें हुई हैं, उनमें से एक है हम सबका तकनीक के करीब जाना, उसकी क्षमताओं से परिचित होना और उसका इस तरह इस्तेमाल करना कि अपने कामकाज को कुछ हद तक सामान्य ढंग से चलाया जा सके.

एप्स पर रोक चीन को कड़ा संकेत

जनता में चीनी सामान के बहिष्कार का जज्बा पैदा हो रहा है. भारत अब चीन के व्यवहार और प्रतिक्रिया को भांपता रहेगा. उसका आक्रामक रुख जारी रहता है, तो चीजें और आगे बढ़ सकती हैं.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से कायाकल्प

प्रधानमंत्री ने कहा है कि भारत को एआइ का ग्लोबल हब बनाना चाहते है़ं यानी, हम उनका निर्माण और विकास पूरी दुनिया के लिए करेंगे़

5 जी पर ठोस शोध की जरूरत

सरकारों को टेलीकॉम कंपनियों पर शोध और परीक्षण के लिए दबाव डालना चाहिए. आवश्यक होने पर इसके लिए नियम-कानून भी बनाये जा सकते हैं.

ट्विटर की नयी ‘मुक्त अभिव्यक्ति’

मस्क का कहना है कि ट्विटर में अनंत संभावनाएं हैं, जिन्हें बंधनों से मुक्त करने के लिए कार्य किया जायेगा. दुनिया की निगाहें अब इन्हीं संभावनाओं पर रहेंगी.