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Friday, March 29, 2024

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गांधी को जानना है, तो सुभाष की लिखी बातें पढ़िये

डॉ सुजाता चौधरी नहीं चाहतीं कि समाज के लिए वर्षों से जो वह जो कर रही हैं, वह प्रचारित हो. साहित्यकार डॉ चौधरी की चाहत है कि उनका योगदान समाज को शिक्षित करे, महिलाओं को सशक्त करे और बुजुर्गों का सम्मान हर दिल में पैदा कर दे. भागलपुर : भागलपुर डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के पहले चेयरमैन […]

डॉ सुजाता चौधरी नहीं चाहतीं कि समाज के लिए वर्षों से जो वह जो कर रही हैं, वह प्रचारित हो. साहित्यकार डॉ चौधरी की चाहत है कि उनका योगदान समाज को शिक्षित करे, महिलाओं को सशक्त करे और बुजुर्गों का सम्मान हर दिल में पैदा कर दे.

भागलपुर : भागलपुर डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के पहले चेयरमैन और गांधीवादी थे मकंदपुर-रन्नूचक के रहनेवाले रामनारायण चौधरी. डॉ सुजाता चौधरी के दादा ससुर थे स्व चौधरी. वे अधिवक्ता थे, पर 42 के आंदोलन में वकालत छोड़ दी थी. तबसे यह परिवार गांधी के बताये मार्ग पर चल रहा है. समस्तीपुर के रहनेवाले डॉ इंद्रदेव शर्मा व सुशीला शर्मा की बेटी डॉ चौधरी ने प्रभात खबर से लंबी बातचीत की. वह कहती हैं कि हमारी युवा पीढ़ी साइंस पढ़ना चाहती है, क्योंकि उसमें रोजगार है. युवा इतिहास कम पढ़ते, लेकिन उस पर बातें अधिक करते हैं. यहीं पर भ्रम पैदा होता है. गांधी ने भगत सिंह को बचाया या नहीं बचाया, इसके लिए भ्रम या वैमनस्य में नहीं पड़ें.
गांधी को जानना है, तो सुभाष ने जो अपनी पुस्तक भारत का स्वाधीनता संघर्ष लिखा है, उसे पढ़ें. पिछले साल दिल्ली में आयोजित इंटरनेशनल बुक फेयर में डॉ चौधरी की तीन किताबें प्रेमपुरुष, गांधी और सुभाष के साथ-साथ गांधी और भगत सिंह की चार दिन में 600 प्रतियां बिक गयी थीं. वह कहती हैं कि इंटरनेट से युवाओं का ज्ञानवर्धन नहीं हो सकता. ज्ञान बढ़ाना है, तो बच्चे किताबें पढ़ें. अपने महापुरुषों को जानना है, तो उस समय की लिखी पुस्तकों का अध्ययन करें.महिला हो सशक्त : डॉ चौधरी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी चिंतनशील रहती हैं. अपने मूल घर मकंदपुर-रन्नूचक में वह गरीब बच्चों के लिए स्कूल चला रही हैं.
ढाई बजे स्कूल बंद होने के बाद सिलाई-कढ़ाई का नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है. शहरी क्षेत्र में घूरन पीर बाबा चौक स्थित अपने आवास पर चंद्रमुखी ब्यूटी पार्लर का संचालन कराती हैं. यहां लड़कियों-महिलाओं को ब्यूटिशियन का नि:शुल्क प्रशिक्षण देने की व्यवस्था है. वृंदावन में डॉ चौधरी का खुद का मकान है, जो समाज की ऐसी महिला बुजुर्गों को समर्पित किया है, जिन्हें आश्रय की तलाश है. पिछले 16 साल से वह इसमें वृद्धाश्रम चला रही हैं. बीते दो अक्तूबर को उन्होंने बैजानी में आयोजित गांधी उत्सव में अपनी लगभग 13 बीघा जमीन गांधी धाम बसाने के लिए दान देने की घोषणा की.
नाम : डॉ सुजाता चौधरी (लेखन सुजाता नाम से)
पिता : डॉ इंद्रदेव शर्मा, पूर्व प्राचार्य, समस्तीपुर कॉलेज
मां : सुशीला शर्मा
पति : डॉ अमरेंद्र नारायण चौधरी, चिकित्सक
ससुर : देवनारायण चौधरी, स्वतंत्रता सेनानी
शिक्षा : राजनीतिशास्त्र व इतिहास से एमए, एलएलबी, एलएनएमयू से पीएचडी, पत्रकारिता में डिप्लोमा
उपन्यास – दुख भरे सुख, कश्मीर का दर्द, दुख ही जीवन की कथा रही, प्रेमपु
रुष.
कहानी संग्रह : मर्द ऐसे ही होते हैं, सच होते सपने, चालू लड़की
गांधी साहित्य : महात्मा का अध्यात्म, बापू और स्त्री, गांधी की नैतिकता, गांधी और सुभाष आदि
आनेवाली पुस्तकें : चंपारण का सत्याग्रह, मैं पृथा ही क्यों न रही, सौ साल पहले
कार्यक्षेत्र : सामाजिक कार्यों से लगातार जुड़ाव
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