South Korean lawmaker Jaewon Kim reveals relation with Ayodhya: दक्षिण कोरिया और भारत के बीच लोगों के संबंध आज नहीं बल्कि सदियों पुराने हैं. कोरिया की संसद (नेशनल असेंबली ऑफ कोरिया) की सदस्य जैवॉन किम ने भारत और कोरिया के बीच गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को खुद बयां किया. उन्होंने रिश्तों को रेखांकित करते हुए भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या को व्यक्तिगत और प्रतीकात्मक महत्व वाला स्थान बताया. उन्होंने कहा कि कैसे भारत से आई राजकुमारी (सुरिरत्ना) ने कोरिया में अपनी संस्कृति फैलाई और कोरिया के राजा ने उसे स्वीकार किया. इन संबंधों के बारे में 2000-01 में पता चला, इसके बाद दोनों देशों के बीच संबंध और प्रगाढ़ हुए. माना जाता है कि लगभग दो हजार वर्ष पहले राजकुमारी ने कोरिया में एक नए राजवंश- कराक वंश की नींव रखी, जिसने आगे चलकर उस क्षेत्र पर शासन किया. दक्षिण कोरिया के इतिहास में कराक वंश की राजधानी किमहाए शहर था, जो बुसान (पूर्व में पूसान) के नजदीक है.
भारत और कोरिया के साझा वंश से जुड़े लंबे सांस्कृतिक संबंधों का जिक्र करते हुए किम ने एएनआई से कहा, “अयोध्या मेरे लिए बेहद खास और अत्यंत प्रतीकात्मक स्थान है. भारतीय राजकुमारी, मेरी परदादी की भी परदादी ने उस तरह की अग्रणी भावना और सांस्कृतिक खुलेपन को दिखाते हुए कोरिया का रुख किया. वहीं मेरे परदादा की परदादा (कोरियाई राजा) ने भारत से आई संस्कृति को समझते हुए सम्मानपूर्वक स्वीकार किया.” भारतीय राजकुमारी की पहचान सुरिरत्ना के रूप में की गई थी. किम ने कहा कि यह आदान-प्रदान आज भी भारत और कोरिया के रिश्ते का मार्गदर्शन करता है. उन्होंने कहा- उसी तरह आज भी हम (कोरिया और भारत) एक-दूसरे का सम्मान करते हैं… एक-दूसरे को समझना और सम्मान देना कभी अलग हो सकता है, कभी समान हो सकता है, लेकिन यह सांस्कृतिक समझ पर आधारित है.
सीमा पार सहयोग के लिए B2B प्लेटफॉर्म जरूरी
उन्होंने भारत और कोरिया के बीच सिनेमा सहयोग को गहरा करने के लिए मजबूत संस्थागत ढांचे की आवश्यकता पर भी जोर दिया. उन्होंने विशेषकर दोनों देशों की फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक संरचित बिजनेस-टू-बिजनेस (B2B) प्लेटफॉर्म के महत्व को रेखांकित किया. सीमा-पार सहयोग बढ़ाने की संभावनाओं पर बोलते हुए किम ने कहा कि एक B2B प्लेटफॉर्म काफी मददगार होगा. सरकार ऐसी पहल कर सकती है और करनी भी चाहिए… लेकिन सरकार सिर्फ समर्थन दे सकती है या एक बुनियादी ढांचा तैयार कर सकती है. वह बहुत गहराई तक जाकर ऐसा B2B प्लेटफॉर्म नहीं बना सकती.”
वंदे मातरम गाकर छा गईं किम
उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की व्यवस्था स्थापित करना आसान नहीं है, क्योंकि भारत और कोरिया दोनों जटिल भू-राजनीतिक और आर्थिक वातावरण में काम करते हैं. किम ने कहा, “मैं यह कहना चाहूंगी कि यह एक संवेदनशील मुद्दा भी हो सकता है. भारत पश्चिम की ओर यूरोप तक फैला हुआ है. कोरिया दूर पूर्व में स्थित है. किसी न किसी रूप में हम अमेरिका, जापान और चीन के प्रभाव में भी रहते हैं…” गोवा में आयोजित 56वें भारत अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) में किम ने वेव्स फिल्म बाज़ार के उद्घाटन समारोह में भारत का राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् प्रस्तुत किया. उनके प्रदर्शन को फिल्म निर्माताओं और समारोह में उपस्थित प्रतिनिधियों सहित पूरे दर्शक वर्ग से स्टैंडिंग ओवेशन मिला.
कौन थीं राजकुमारी सुरिरत्ना?
भारत और कोरिया के बीच जुड़ाव तब और मजबूत हुआ जब शोध के दौरान यह पता चला कि अयोध्या की एक राजकुमारी, जो भगवान राम की जन्मभूमि से थीं. दक्षिण कोरिया और भारत के बीच प्रचलित एक लोकप्रिय किंवदंती के अनुसार, अयोध्या की राजकुमारी सुरिरत्ना लगभग 48 ईस्वी में समुद्री यात्रा करते हुए कोरिया पहुँची थीं. इन्हें कोरिया में रानी हियो ह्वांग-ओक के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि अयोध्या के तत्कालीन राजा ने एक दिव्य स्वप्न देखने के बाद अपनी 16 वर्षीय पुत्री को कोरिया भेजा, जहाँ उन्होंने स्थानीय शासक राजा किम सुरो से विवाह किया और मिलकर कराक वंश की स्थापना की. दक्षिण कोरिया के लोकप्रिय ग्रंथ सामगुक यूसा में उनका उल्लेख ‘आयुता’ के राज्य की राजकुमारी के रूप में मिलता है, जिसे कई विद्वान अयोध्या का ही प्राचीन रूप मानते हैं. हालांकि इतिहासकारों के पास उनके वास्तविक अस्तित्व का ठोस प्रमाण नहीं है, फिर भी कोरिया में यह कथा सांस्कृतिक स्मृति और लोकमानस में गहराई से जीवित है.
राजकुमारी के वंशज- आज कोरिया की 10% आबादी
इस दंपति के वंशज आज दक्षिण कोरिया की आबादी का लगभग 10%, यानी छह मिलियन से भी अधिक माने जाते हैं, जिनमें कई पूर्व राष्ट्रपति और प्रमुख राजनीतिक हस्तियाँ भी शामिल हैं. किंवदंती के अनुसार रानी सुरिरत्ना अपने बच्चों को अपना उपनाम न दे पाने से दुखी थीं, जिसके बाद राजा किम सुरो ने उनके दो पुत्रों को हियो (Heo) उपनाम धारण करने की अनुमति दी, यह उपनाम आज भी कोरिया में प्रचलित है. रानी ह्वांग-ओक की यह पौराणिक यात्रा और उनसे जुड़ी कथा आज भारत और दक्षिण कोरिया के बीच सांस्कृतिक सेतु का महत्वपूर्ण आधार बन चुकी है, जिसके सम्मान में कोरिया और अयोध्या के बीच बहन शहर (सिस्टर सिटीज) का संबंध स्थापित किया गया है और कोरियाई प्रतिनिधिमंडल हर वर्ष अयोध्या आकर अपनी पूर्वज रानी को श्रद्धांजलि देते हैं.
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