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नेपाल : हाहाकारी भूकंप से मौत का आंकड़ा 3818 के पार हुआ , 10000 तक जा सकती है मरने वालों की संख्या

काठमांडो : भूकंप प्रभावित नेपाल में बचाव कर्मियों ने आज घरों और इमारतों के टनों मलबे में फंसे जीवित लोगों का पता लगाने के लिए अभियान तेज कर दिया और बचाव दल दूर-दराज के पहाडी इलाकों में पहुंचने लगे हैं. इस बीच नेपाल सरकार ने इस बात की आशंका व्यक्त करते हुए कहा है की […]

काठमांडो : भूकंप प्रभावित नेपाल में बचाव कर्मियों ने आज घरों और इमारतों के टनों मलबे में फंसे जीवित लोगों का पता लगाने के लिए अभियान तेज कर दिया और बचाव दल दूर-दराज के पहाडी इलाकों में पहुंचने लगे हैं. इस बीच नेपाल सरकार ने इस बात की आशंका व्यक्त करते हुए कहा है की इस बात की आशंका बलवती होने लगी है कि इस प्राकृतिक आपदा में मरने वालों की संख्या 10000 केपार जा सकती है.
कई देशों के बचाव दल खोजी कुत्तों और आधुनिक उपकरणों की मदद से जीवित लोगों का पता लगाने के काम में लगे हुए हैं. भूकंप के बाद अभी भी सैकडों लोग लापता हैं.
भारत ने राष्ट्रीय राहत आपदा बल के 700 से अधिक आपदा राहत विशेषज्ञों को यहां पर तैनात किया है. एक बयान में नेपाल पुलिस ने बताया कि मरने वाले लोगों की संख्या 3818 पहुंच गयी है. इसमें माउंट एवरेस्ट पर आए हिमस्खलन में मारे गये 22 लोगों की संख्या को शामिल नहीं किया गया है.
नेपाल गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्रभाग ने कहा है कि 7000 से अधिक लोग घायल हैं. इसमें बताया गया है कि केवल काठमांडो घाटी में 1,053 लोग और सिंधुपालचौक में 875 लोगों के मारे जाने की खबर है.
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अधिकारियों और सहायता एजेंसियों ने सचेत किया है कि पश्चिमी नेपाल के दूर-दराज वाले पहाडी इलाकों में बचाव दलों के पहुंचने के बाद हताहतों की संख्या में और इजाफा दिख सकता है.
वर्ल्ड विजन सहायता एजेंसी के प्रवक्ता मैट डरवास ने बताया, लगातार हो रहे भूस्खलन के कारण गांव प्रभावित हुये हैं और यह आसामान्य नहीं है कि पत्थरों के गिरने के कारण 200, 300 या एक 1000 तक की आबादी वाले पूरे के पूरे गांव पूरी तरफ से दफन हो गये हों.
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शनिवार को 7.9 की तीव्रता वाला भूकंप आने के बाद आए ताजा झटकों से सडकों के अवरुद्ध होने, बिजली गुल होने और अस्पतालों में भारी भीड के कारण जीवितों का पता लगाने के काम में बाधा आ रही है. नेपाल के अलावा इस भूकंप का असर बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और उत्तर पूर्वी भारत के कई शहरों में महसूस किया गया.
भूकंप का असर दक्षिणी और पश्चिमी भारत के हिस्सों, चीन, भूटान और पाकिस्तान एवं बांग्लादेश में भी महसूस किया गया. अधिकारियों ने कहा कि भारतीय दूतावास के एक कर्मचारी की बेटी समेत पांच भारतीय इस भूकंप में मारे गए लोगों में शामिल हैं.
लगातार दो रातों से हो रही मूसलाधार बारिश के बीच खुले में प्लास्टिक के बने टेंटों में हजारों लोग रहने के लिए विवश हैं. भूकंप के मुख्य झटकों के बाद कल आए शक्तिशाली झटकों के चलते पीडितों में दहशत फैल गई. इन ताजा झटकों से माउंट एवरेस्ट पर हिमस्खलन हो गया जिसके कारण 22 लोगों की मौत हो गई थी.
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यहां सामूहिक अंतिम संस्कार का काम जारी है. मृतकों की बढती संख्या के कारण स्वास्थ्य खतरों को रोकने के लिए अधिकारी यथा संभव जल्द से जल्द शव का अंतिम संस्कार करने के काम में लगे हैं.
नेपाल ने इस भीषण आपदा के चलते देश में आपातस्थिति की घोषणा कर दी है. देश के इतिहास में पिछले 80 वर्षों में आया यह अब तक का सबसे भीषण भूकंप है. भारत ने बचाव और पुनर्वास के एक बडे प्रयास के तहत 13 सैन्य विमान तैनात किए हैं, जो अस्थाई अस्पताल सुविधा, दवाएं, कंबल और 50 टन पानी एवं अन्य सामग्री लेकर गए हैं.
एक उच्चस्तरीय अंतरमंत्रालयी दल नेपाल का दौरा करके यह आकलन करेगा कि भारत किस तरह राहत अभियानों में बेहतर सहयोग कर सकता है.
लगातार आ रहे सहायता विमानों के कारण काठमांडो हवाई अड्डे पर पार्किंग के लिए स्थान नहीं बचा है. कई विमानों को जमीन पर उतरने के लिए अनुमति का इंतजार करना पड रहा है.
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आज अपराह्न 4:00 बजे की खबर के अनुसार, काठमांडू में हवाई ट्रैफिक की भीड़ की वजह से भारत के दो C-17 ग्लोबमास्टर विमानों को दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर वापस लौटना पड़ा है. इन विमानों में से एक C-130J में राहत और बचाव के लिए जरुरी सामान और पीने का पानी था जबकि दूसरे विमान IL-76 में एनडीआरएफ की टीम के सदस्य थे.
काठमांडू में हवाई ट्रैफिक की भीड़ की वजह से भारत के दो C-17 पालम वापस लौटे. इन विमानों में से एक C-130J में राहत और बचाव के लिए जरुरी सामान और पीने का पानी था जबकि दूसरे विमान IL-76 में एनडीआरएफ की टीम के सदस्य थे.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने कहा है कि नेपाल में पानी और खाने की किल्लत हो गयी है और करीब दस लाख कमजोर और कुपोषित बच्चों को तत्काल मानवीय सहायता की जरुरत है.

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