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दक्षेस नेता आतंकवाद, गरीबी पर करेंगे चर्चा

काठमांडो: नेपाल में होने जा रहे 18वें दक्षेस शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के नेता क्षेत्र में आतंकवाद निरोध, शांति एवं सुरक्षा जैसे विषयों से लेकर कृषि, ग्रामीण विकास, गरीबी उन्मूलन, खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों पर चर्चा करेंगे. नेपाल के विदेश मंत्री महेन्द्र पांडे ने सम्मेलन की पूर्व संध्या पर आज संवाददाताओं से […]

काठमांडो: नेपाल में होने जा रहे 18वें दक्षेस शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के नेता क्षेत्र में आतंकवाद निरोध, शांति एवं सुरक्षा जैसे विषयों से लेकर कृषि, ग्रामीण विकास, गरीबी उन्मूलन, खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों पर चर्चा करेंगे.

नेपाल के विदेश मंत्री महेन्द्र पांडे ने सम्मेलन की पूर्व संध्या पर आज संवाददाताओं से कहा कि आठों सदस्य देशों..अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के प्रतिनिधि नौ अन्य राष्ट्रों के पर्यवेक्षकों के साथ सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.
पिछले दक्षेस शिखर सम्मेलन में किए गए फैसलों को लागू करने में हुई प्रगति की सम्मेलन में समीक्षा की जाएगी. साथ ही, पिछले सम्मेलन के बाद विभिन्न बैठकों में तैयार की गई रिपोटरें पर चर्चा की जाएगी.
नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला दक्षेस देशों के सभी शासन प्रमुखों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करंेगे जबकि दक्षेस के सभी प्रतिनिधि सम्मेलन के आखिरी दिन नेपाल के राष्ट्रपति राम बरन यादव से मिलेंगे.
सम्मेलन की तैयारियां आखिरी चरण में पहुंच चुकी हैं. प्रधानमंत्री सुशील कुमार कोइराला ने अधिकारियों को यहां आने वाले मेहमानों के लिए पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था करने का आदेश दिया है. पांडे ने बताया कि सम्मेलन के समापन पर काठमांडो घोषणापत्र भी जारी किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि यह सम्मेलन नेपाल को ऐसे समय में फायदा पहुंचाएगा जब देश शांति प्रक्रिया को सम्पन्न करने और एक नये संविधान का मसौदा तैयार करने की दिशा में बढ रहा है क्योंकि इससे दक्षेस नेताओं के साथ विचारों का आदान प्रदान करने का मौका मिलेगा.उन्होंने कहा कि यह नेपाल के लिए बहुत अहम कार्यक्रम है क्योंकि यह न सिर्फ क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने में मदद करेगा, बल्कि दक्षेस देशों के बीच समझ भी बढाएगा. साथ ही, यह नेपाल के पर्यटन क्षेत्र को भी प्रोत्साहित करेगा.
पांडे ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दौरे के दौरान धार्मिक स्थलों..जनकपुर, लुंबिनी और मुक्तिनाथ की प्रस्तावित यात्र का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘दक्षेस सम्मेलन इस वक्त मुख्य केंद्र में है और सम्मेलन में सारे मेहमान सभी आठ देशों से आ रहे हैं तथा यदि कोई मेहमान नेता हमारे धर्म स्थल या पर्यटन स्थल जाना चाहते हैं तो हम इसके लिए सभी आवश्यक बंदोबस्त करने के लिए तैयार हैं क्योंकि इससे पर्यटन के कारोबार को बढावा मिलेगा.’’ दक्षेस का 1985 में गठन होने के बाद से करीब तीन दशक के इसके इतिहास में काठमांडो तीसरी बार इसके शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है.
पांडे ने बताया कि इसने राजतंत्र के तहत 1987 में पहली बार इसकी मेजबानी की थी जबकि दूसरी बार 2002 में संवैधानिक राजतंत्र के तहत और तीसरी बार अब करने जा रहा है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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