वाशिंगटन:पेंटागन ने भारत को पोत-रोधी हापरून मिसाइलें बेचने के अपने फैसले के बारे में अमेरिकी कांग्रेस को सूचित करते हुए कहा कि इससे भारत और अमेरिका के रणनीतिक रिश्ते मजबूत होंगे और अमेरिका के एक अहम सहयोगी देश की सुरक्षा में सुधार होगा. इन मिसाइलों की अनुमानित लागत लगभग 20 करोड़ डॉलर है. रक्षा मंत्रलय की रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने कहा कि विदेशी सैन्य बिक्री के तहत बेचे जानेवाले इस पूरे पैकेज में करीब एक दर्जन यूजीएम-84एल हापरून ब्लॉक 2 एनकैप्सुलेटेड मिसाइल, 10 यूटीएम-84एल हारपून एनकैप्सुलेटेड प्रशिक्षण मिसाइलें और दो एनकैप्सुलेटेड हारपून प्रमाणीकरण प्रशिक्षण वाहन शामिल हैं. बहरहाल, इस प्रस्तावित बिक्री के बारे में अब तक कोई करार नहीं हुआ है.
शिशुमार वर्ग की पनडुब्बी का करेगा काम
पेंटागन ने कहा कि हापरून मिसाइल प्रणाली को भारतीय नौसेना के शिशुमार वर्ग की पनडुब्बी में लगाया जायेगा और यह समुद्र में संचार की लाइनों की सुरक्षा की क्षमताओं को बढ़ायेगा. भारतीय वायु सेना के जगुआर विमान और भारतीय नौसेना के पी-8 आइ नौवहन गश्त विमान पर लगाने के लिए भारत पहले ही हापरून मिसाइलें खरीद चुका है. भारत को इन अतिरिक्त मिसाइलों को अपने सशस्त्र बलों में शामिल करने में कोई मुश्किल नहीं होगी.
सैन्य संतुलन में नहीं होगा बदलाव
पेंटागन ने कहा, ‘यह प्रस्तावित बिक्री भारत और अमेरिका के रणनीतिक संबंध को मजबूत करते हुए अमेरिका की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान देगी. साथ ही यह दक्षिण एशिया में राजनैतिक स्थिरता, शांति और आर्थिक प्रगति के लिए एक अहम कारक एवं अमेरिका के महत्वपूर्ण सहयोगी भारत की सुरक्षा के सुधार में भी मदद करेगी. हापरून मिसाइलों की प्रस्तावित बिक्री से क्षेत्र के मूल सैन्य संतुलन में कोई बदलाव नहीं होगा. इस हापरून मिसाइल का निर्माण बोइंग करेगा.