वाशिंगटन : भारतीय संस्कृति की समृद्ध विविधता से प्रभावित अमेरिकी हाइ स्कूल की चार छात्राओं का कहना है कि भारत में कुछ समय का प्रवास उनकी जिंदगी में बदलाव लाने वाला अनुभव रहा, जहां उन्हें पारिवारिक मूल्य और काम के प्रति नैतिकता का पाठ मिला.
एक साल पहले अमेरिका के विभिन्न हिस्सों की इन छात्राओं-रेले कोनवे, मेजी एलेक्सजेंडर, रोवन क्रोसवेल और मिला लोनमेन को भारत के बारे में महज थोड़ी सी ही जानकारी थी. भारत में एक साल समय गुजारने को लेकर वे चिंतित थी. केनेडी-लुगार येस (यूथ एक्सचेंज एंड स्टडी) कार्यक्रम के तहत उन्हें भारत आना था.
भारत से आने के बाद अब ये अमेरिकी छात्राएं अमेरिका में खुद को भारत का सांस्कृतिक दूत मानती हैं. इन्हें न केवल ‘सलवार कुर्ती’ पहनना पसंद है, बल्कि बिंदी लगाना, हाथों में मेंहदी लगाना बिल्कुल भा गया. दक्षिण भारत के पारंपरिक व्यंजन इडली, डोसा, सांबर, चटनी और रसम ने तो इन्हें दीवाना बना दिया.
तीन अन्य छात्राओं के साथ एक संयुक्त साक्षात्कार में मिला लोनमेन ने कहा, भारत आने के पहले यह मेरे लिए विदेश की तरह ही था, लेकिन अब जब भारत को अपने घर के तौर पर देखती हूं तो मैं यह नहीं कहना चाहती हूं कि यह मेरा दूसरा घर है..बल्कि यह कहूंगी कि यह मेरा घर है. रेले कोनवे ने कहा,यह बहुत अनोखा और मेरी जिंदगी में बदलाव लाने वाला अनुभव साबित हुआ.