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सीमा लांघ पाकिस्तान पढ़ने आते हैं अफगान के बच्चे
पांच महीने तक पाकिस्तान सरकार ने अफगानिस्तान के बच्चों के पाकिस्तान में आकर पढ़ने पर रोक लगा दी थी. अब जबकि सीमा खुल गयी है, बच्चे फिर पढ़ने आ रहे हैं.पाकिस्तान के अफगान बॉर्डर के पास तोर्खम के बाशा मनिया गांव के एक प्राइवेट स्कूल में अफगानिस्तानी बच्चों ने पाकिस्तान के राष्ट्रीय झंडे को सलाम […]
पांच महीने तक पाकिस्तान सरकार ने अफगानिस्तान के बच्चों के पाकिस्तान में आकर पढ़ने पर रोक लगा दी थी. अब जबकि सीमा खुल गयी है, बच्चे फिर पढ़ने आ रहे हैं.पाकिस्तान के अफगान बॉर्डर के पास तोर्खम के बाशा मनिया गांव के एक प्राइवेट स्कूल में अफगानिस्तानी बच्चों ने पाकिस्तान के राष्ट्रीय झंडे को सलाम किया और पाकिस्तानी राष्ट्रीय गान गाया. यह स्कूल के प्राचार्य शहाबुद्दीन के लिए काफी भावुक क्षण था, क्योंकि पांच महीने बाद उनकी मुलाकात अपने इन अफगानी छात्रों से हुई थी.
पाक-अफगान सीमा के पास तोर्खम के तीन प्राइवेट स्कूल हैं, जहां करीब 350 अफगान विद्यार्थी हर दिन सीमा पार कर पढ़ने आते हैं. शहाबुद्दीन के अनुसार, उन्हें अबतक अफगानी बच्चों से कभी कोई समस्या नहीं हुई है. यहां तक कि सुबह के प्रार्थना के वक्त भी अफगानी बच्चे आराम से पाकिस्तानी राष्ट्रगान गाते हैं और पाकिस्तानी झंडे को सलाम करते हैं. सभी अफगानी छात्र अनुशासित और पाकिस्तान के कानून को मानने वाले हैं.
हालांकि पाकिस्तान के इन स्कूलों में अफगानी बच्चों की तादाद घट रही है. ऐसा इसलिए कि पाकिस्तानी सीमा के अंदर रहनेवाले अफगानी परिवारों को जबरदस्ती अफगानिस्तान भेजा जा रहा है. पाकिस्तान सरकार मानती है कि ये अफगानी परिवार आतंकियों की मदद करते हैं.
अफगानी छात्र अमीरउल्लाह का परिवार तोर्खम में पिछले तीन दशक से रह रहा था. कुछ साल पहले उसके पिता की मौत हो गयी. फिर उसके परिवार को अफगानिस्तान भेज दिया गया. फिर भी पांच माह बाद सीमा खुलने पर अमीरउल्लाह पढ़ाई के लिए पाकिस्तान आने लगा है़
फरवरी में आतंकी हमले के मद्देनजर पाकिस्तान सरकार ने अफगानिस्तान बॉर्डर को बंद कर दिया था. 22 मार्च को बातचीत के बाद
पाकिस्तान ने सिर्फ आधिकारिक कार्यों के लिए अफगान सीमा को खोला, लेकिन सुरक्षा कारणों से अफगानी बच्चों की पाकिस्तान में पढ़ाई पर रोक लगी रही.
पाकिस्तान ने पांच माह की पाबंदी के बाद जुलाई में अफगानी बच्चों को पाकिस्तान के स्कूल में आने की अनुमति दे दी है. इस पाबंदी के कारण नौ अफगानी बच्चे मैट्रिकुलेशन की परीक्षा से वंचित रह गये. दोबारा सीमा खुलने के बाद 500 रुपये की मामूली राशि देकर बच्चों को नया रजिस्ट्रेशन करवाने और अपने पिता के नेशनल आइडेंटिटी कार्ड और स्कूल का परिचय पत्र नेशनल डाटाबेस ऑफिस और रजिस्ट्रेशन कार्यालय तोर्खम में जमा करने को कहा गया. ऑक्सफोर्ड स्कूल के प्राचार्य शहाबुद्दीन बताते हैं कि नयी रजिस्ट्रेशन पॉलिसी के तहत सभी बच्चों से जरूरी कागजात मांगे गये हैं.
इसके बाद से काफी कम संख्या में बच्चों के कागजात जमा हुए हैं. उनके स्कूल में 60 प्रतिशत बच्चे अफगानिस्तान के थे. वहीं अब स्कूल के 850 अफगानी बच्चों में से 120 बच्चे कम हो गये हैं.
सीमा बंद होने पर निराश हो गये थे बच्चे
शहाबुद्दीन बताते हैं कि सीमा सील होने के बाद कुछ अफगानी छात्र करीब हर दिन उन्हें फोन करते थे. वहीं कुछ बच्चे हर दिन बॉर्डर क्रॉसिंग प्वाइंट के पास आकर उनसे मिलते थे और सीमा खुलने के बारे में पूछते थे.
अफगानिस्तानी सीमा के ननगाहार क्षेत्र के बच्चे पाकिस्तान के स्कूलों में पढ़ाई को अधिक अहमियत देते हैं. अफगानिस्तान के दूसरी कक्षा के आबिद, चौथी कक्षा के लियाकत अली और काजी अहमद का कहना है कि पाकिस्तान की शिक्षा का स्तर अफगानिस्तान की तुलना में काफी बेहतर है. यहां पढ़ना उन्हें अच्छा लगता है और यहां के स्थानीय बच्चे उनके बहुत अच्छे दोस्त हैं.
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