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लो प्लेटलेट का जिम्मेवार हो सकता है थ्रोम्बोसाइटोपेनिया, जानें इस रोग के प्रमुख कारण और लक्षण के बारे में

थ्रोम्बोसाइटोपेनिया ऐसी बीमारी है, जिसमें रक्त के प्लेटलेट काउंट सामान्य प्लेटलेट काउंट (1.5 एम3 ) से कम हो जाते हैं. यह एनिमिया के बाद ब्लड का सबसे सामान्य रोग माना जाता है, जो महिला और पुरुष दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है. दरअसल, रक्त का थक्का बनने की प्रक्रिया में प्लेटलेट अहम भूमिका […]

थ्रोम्बोसाइटोपेनिया ऐसी बीमारी है, जिसमें रक्त के प्लेटलेट काउंट सामान्य प्लेटलेट काउंट (1.5 एम3 ) से कम हो जाते हैं. यह एनिमिया के बाद ब्लड का सबसे सामान्य रोग माना जाता है, जो महिला और पुरुष दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है. दरअसल, रक्त का थक्का बनने की प्रक्रिया में प्लेटलेट अहम भूमिका निभाते हैं. प्लेटलेट कम होने से रक्तस्राव और रक्त की कमी की समस्या बढ़ जाती है और यदि रक्त का थक्का बनने से जुडी अन्य कोई बीमारी हो, तो यह गंभीर समस्या भी बन सकती है.
प्लेटलेट्स (थ्रोम्बोसाइट्स) रंगहीन ब्लड सेल होते हैं, जो रक्त का थक्का बनने में सहायता करते हैं. रक्तवाहिनियों में चोट लगने पर प्लेटलेट्स इनमें गुच्छा बना कर रुकावट खड़े कर देते हैं और रक्त बहना रोक देते हैं. थ्रोम्बोसाइटोपेनिया आमतौर पर एक अलग रोग के रूप में सामने आता है, जैसे ल्यूकेमिया या इम्यून सिस्टम में कमी. इसके अलावा यह कुछ खास दवाइयों के साइड इफेक्ट के रूप में भी सामने आ सकता है. यह रोग बच्चों और वयस्कों दोनों को प्रभावित करता है.
इस रोग का प्रमुख कारण
हर प्लेटलेट करीब दस दिनों तक ही जिंदा रहता है, इसलिए शरीर बोनमैरो में नये प्लेटलेट बनाता रहता है. जब बोनमैरो में पर्याप्त संख्या में नये प्लेटलेट नहीं बनते या तेजी से टूटते हैं, तो थ्रोम्बोसाइटोपेनिया रोग हो सकता है. प्लेटलेट्स के जमाव या असामान्य वितरण से तिल्ली से संबंधित रोग हो सकते हैं. यह वंशागत और कुछ दवाइयों या कई अन्य स्थितियों के कारण भी हो सकता है. एक या विभिन्न कारणों से प्लेटलेट्स काउंट कम हो सकता है, जैसे-
तिल्ली (स्प्लीन) के बढ़ने से : पसलियों के नीचे एक छोटा-सा अंग तिल्ली होता है, जो संक्रमण से लड़ाई करता है और रक्त में आये अवांछित तत्वों को फिल्टर करता है. बढ़ी हुई तिल्ली में काफी प्लेटलेट्स जमा हो जाते हैं, जिसे स्प्लीन रोक कर रखता है. इससे ब्लड सर्कुलेशन में रहनेवाले प्लेटलेट्स की संख्या में कमी आ जाती है.
प्लेटलेट्स के उत्पादन में कमी : प्लेटलेट्स बोनमैरो में बनते हैं और कुछ कारणों की वजह से थ्रोम्बोसाइटोपेनिया विकसित हो सकता है, जैसे- ल्यूकेमिया,किसी तरह का एनीमिया, वायरल संक्रमण (हेपेटाइटिस सी या एचआईवी), कीमोथेरेपी दवाइयां, शराब का अत्यधिक सेवन.
प्लेटलेट्स का तेजी से टूटना : कई बार आपके शरीर में ऐसी स्थिति बनती है कि प्लेटलेट्स का उत्पादन धीमी गति से होता है, जबकि वे नष्ट तेजी से होते हैं. इससे आपकी रक्तवाहिनियों में प्लेटलेट्स की कमी हो सकती है.
क्या हैं इसके लक्षण
थ्रोम्बोसाइटोपेनिया को रक्त में प्लेटलेट्स की कमी के रूप में पहचाना जाता है, लेकिन कुछ अन्य लक्षणों से भी इसे पहचाना जा सकता है –
आसानी से या बार-बार चोट लगना.
त्वचा में सतही रक्तस्राव होना, जो लाल-बैंगनी धब्बों के रूप में सामान्यतः टांग के नीचे की तरफ दिखाई देना.
कट लगने पर बहुत देर तक रक्त बहना.आपके मसूड़ों या नाक से रक्त बहना.
मूत्र या मल में रक्त आना.
मासिक धर्म के दौरान असामान्य रक्तस्राव होना.
थकान, तिल्ली का बढ़ना, पीलिया.
प्रभावी उपचार है एचइएससी थेरेपी
डॉ गीता शर्राफ
स्टेम सेल विशेषज्ञ व निदेशक, न्यूटेक मैडीवर्ल्ड, नयी दिल्ली
थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के उपचार के मौजूदा विकल्प, जैसे- कार्टीकॉस्टेरॉइड्स, रक्त या प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन और इम्यूनोग्लोब्यूलिन्स दवाइयां आदि कई परेशानियां पैदा कर सकती हैं. ये परेशानियां इम्यूनिटी और प्लेटलेट काउंट में कमी के रूप में सामने आती हैं. रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी के कारण रोगी में संक्रमण और प्लेटलेट काउंट में कमी से अत्यधिक खून बहने का जोखिम बढ़ जाता है. एक थेरेपी-कार्टीकॉस्टेरॉइड्स इम्यून के सिस्टम की गतिविधि को घटा कर प्लेटलेट काउंट बढ़ाती है.
इन उपचारों का मुख्य उद्देश्य मृत्यु और रक्तस्राव से होनेवाली अपंगता से बचाना है. मगर कार्टीकॉस्टेरॉइड्स के उपयोग से कई दुष्प्रभाव भी सामने आते है, जैसे सूजन, फूलना, वजन बढ़ना, बाल कम होना, डिप्रेशन, नजर कमजोर होना आदि. ऐसे में सुरक्षित उपचार के रूप में अब एचइएससी (ह्यूमन एम्ब्रायोनिक स्टेम सेल्स) थेरेपी अधिक कारगर है. इसमें किसी भी तरह की कोशिका में गुणन, प्रसरण और विभेदन की क्षमता है. चोट के स्थान पर एचइएससी विभिन्न तरह के ट्रॉफिक फैर्क्ट्स पैदा कर कोशिकाओ को होने वाले नुकसान को कम करता है तथा उसी स्थान पर पुनरूत्पादन संभव बना कर इसके फंक्शन को री-स्टोर करता है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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