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रेकी से मिलती है आंतरिक ऊर्जा

हुनर :मटकुरिया की रीता चावड़ा कर रही लोगों को लाभान्वित पिछले पंद्रह साल से रेकी से जुड़ी हैं हरि रेसीडेंस मटकुरिया (छठ तालाब के पास) की रहनेवाली रीता चावड़ा. कभी अकेले तो कभी समूह में लोगों को लाभ पहुंचाती हैं. रीता कहती हैं अब तक कोयलांचल के लगभग पांच सौ लोग रेकी सीख कर उसका […]

हुनर :मटकुरिया की रीता चावड़ा कर रही लोगों को लाभान्वित

पिछले पंद्रह साल से रेकी से जुड़ी हैं हरि रेसीडेंस मटकुरिया (छठ तालाब के पास) की रहनेवाली रीता चावड़ा. कभी अकेले तो कभी समूह में लोगों को लाभ पहुंचाती हैं. रीता कहती हैं अब तक कोयलांचल के लगभग पांच सौ लोग रेकी सीख कर उसका लाभ मानव समुदाय को पहुंचा रहे हैं. रेकी क्या है और कैसे शुरू हुआ इनका रेकी का सफर डालते हैं एक नजर.

आंतरिक ऊर्जा है रेकी : रीता बताती हैं पंद्रह साल पहले मैं इमोशनल प्रॉब्लम फेस कर रही थी. कोई अदृश्य शक्ति है जो मानवीय संवेदनाओं को राहत पहुंचाती है जैसी बातों में कतई विश्वास नहीं करती थी. कॉर्मेल स्कूल की शिक्षिका रेखा सिंह से रेकी के बारे में सुना. उन्होंने मुङो रेकी से जुड़ने की सलाह दी. रेकी के ग्रैंड मास्टर किरण साठे से मुङो मिलवाया. मैंने कहा पहले आप मुझ पर रेकी का असर दिखाओ तब मानूंगी. श्री साठे ने अपने हाथों से हमारे घुटने के ऊपर रेकी देना प्रारंभ किया. उनके हाथों से निकलनेवाली रे ने जादू का काम किया. ऐसा लगा मेरे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ. फिर मैने रेकी की शक्ति को मान लिया और ज्वाइन कर लिया.

जापानी पद्धति है रेकी : रेकी जापानी शब्द है. जिसका अर्थ है सर्वव्यापी जीवन शक्ति. जापानी भाषा में रे का अर्थ है सर्वव्यापी, की का अर्थ है जीवन शक्ति. रेकी लाभकारी शक्ति है. इसका नकारात्मक प्रभाव नही होता. रेकी में हाथों से सारा कार्य किया जाता है. यह मानव शरीर के अवयवों, स्नायु तंत्र एवं अस्थियों को शक्ति प्रदान करती है. रेकी तनाव मुक्त करती है. जागृति लाती है. चेतना का विकास होता है. रेकी का असर अविलंब प्रारंभ होता है.

सिंगल और ग्रुप में दी जाती है रेकी

अकेले व्यक्ति के लिए अकेले लेकिन समस्या जटिल हो तो ग्रुप में रेकी दी जाती है. अगर कोई व्यक्ति पास नहीं है उस पर भी रेकी का असर होता है. समस्या जटिल होने पर हम ग्रुप में रेकी देते हैं. रेकी देते वक्त मेटल का सामान शरीर से स्पर्श नहीं होना चाहिए.

रेकी की होती है तीन डिग्री

रेकी का प्रशिक्षण तीन डिग्री में होता है. पहली डिग्री में स्पर्श कर रेकी दी जाती है. रेकी लेनेवाले साधक को रेकी मांगनी पड़ती है. रेकी लेने के बाद धन्यवाद कहना आवश्यक है. दूसरी डिग्री में लंबी दूरी के लोगों पर रेकी दी जाती है. तीसरी डिग्री के कोर्स में नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है. इस कोर्स के बाद ग्रेंड मास्टर बन जाते हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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