चुंगी का जमाना एक बार फिर से लौट आया है. पिछले कुछ सालों में देश में राजमार्गो का विकास खूब हुआ है, पर उसके इस्तेमाल के लिए जगह-जगह कर चुकाना पड़ता है, जिससे चुंगी या अंगरेजी में टोल (3’’) कहते हैं. चुंगी शब्द कहां से आया, इसे समझने के लिए हमें पहले चंगुल के बारे में समझना होगा.
चंगुल कहते हैं पशु-पक्षियों के टेढ़े पंजे को, जिससे वे कोई वस्तु पकड़ते या शिकार करते हैं. इनसानी हाथ के पंजों की वह स्थिति जो उंगलियों को बिना हथेली से लगाये किसी वस्तु को पकड़ने, उठाने या लेने के समय होती है, उसे भी चंगुल कहते हैं. किसी की पकड़ में आने को चंगुल में फंसना कहा जाता है. ‘चंगुल में फंसना’ अर्थ-विस्तार के साथ मुहावरे का रूप ले चुका है. चंगुल शब्द फारसी का है. फारसी में इसका एक अन्य समानार्थक शब्द है, चंगाल. इन दोनों के मूल में चंग शब्द है. चंग में मूल भाव टेढ़ी वस्तु का है. चंग एक बाजा भी है, जो डफ जैसा होता है, पर टेढ़ा होता है. चंग का अर्थ मुट्ठी या पंजा भी होता है. इसे यह अर्थ उंगलियों के टेढ़ेपन से मिला है. पक्षी की चोंच को फारसी में चुंग कहा जाता है.
इसमें भी चंग की भूमिका दिखती है, क्योंकि चोंच भी अमूमन टेढ़ी होती है. शायद अपने टेढ़ेपन की वजह से ही हुक जैसे आकारवाली चीजों को भी चंगुल कहा जाता है. एक अन्य धारणा है कि चंगुल शब्द ‘चौ’ (चार) और ‘अंगुल’ (उंगली) के योग से बना है. यानी, पंजे की चार उंगलियां जोड़ कर बननेवाली आकृति चंगुल है. इसे चुंगल भी कहा जाता है.
अब बात करते हैं चंगुल के चुंगी से रिश्ते की. अगर हम एक हाथ से अंजुरी जैसी आकृति अपने पंजे से बनायें, तो उसे चुंगल कहते हैं. मध्य-काल में पैठों, बाजारों या मंडियों में आकर अन्न, फल आदि बेचनेवालों से उनकी विक्रय वस्तुओं में से एक-एक चुंगल या चंगुल भर कर सामान कर या महसूल के रूप में लिया जाता था, जिसे चुंगी कहा जाता था. आजकल विभिन्न नगर निकाय या अन्य निकाय इस कर को नकद के रूप में वसूलते हैं, फिर भी इसे कहा चुंगी ही जाता है. बाहर से शहर में माल लाने के लिए लगनेवाले कर को अंगरेजी में ऑक्ट्रॉय (ू31्र) कहते हैं, यहां चुंगी इसी अर्थ में है. बाद में, नयी सड़क या पुल बनने पर हुए खर्च की उगाही के लिए लगनेवाले कर को भी चुंगी कहा जाने लगा. यानी चुंगी शब्द को अंगरेजी शब्द टोल (3’’) के अर्थ में भी इस्तेमाल किया जाना लगा.