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नवादा : तीन सीटों पर सीधा मुकाबला

नवादा की अधिकतर जगहों पर महागंठबंधन और एनडीए में सीधी टक्कर के आसार हैं. गोविंदपुर व हिसुआ में मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है. चुनाव प्रचार चरम पर है. गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चुनावी रैली को संबोधित किया. वहीं स्थानीय मुद्दों लगभग गौण हैं. रजौली विधानसभा क्षेत्र में टक्कर कांटे की है. भाजपा […]

नवादा की अधिकतर जगहों पर महागंठबंधन और एनडीए में सीधी टक्कर के आसार हैं. गोविंदपुर व हिसुआ में मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है. चुनाव प्रचार चरम पर है. गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चुनावी रैली को संबोधित किया. वहीं स्थानीय मुद्दों लगभग गौण हैं.

रजौली विधानसभा क्षेत्र में टक्कर कांटे की है. भाजपा ने अपने सीटिंग एमएलए को इस बार टिकट नहीं दिया है. उम्मीदवार बदलने से पार्टी के अंदर थोड़ी नाराजगी भी है. महागंठबंधन की तरफ से राजद के प्रकाश वीर मैदान में हैं. महागंठबंधन को पिछड़ी जातियों के वोट का ज्यादा भरोसा है. एनडीए में भी इस वोट को लेकर हिसाब जोड़-तोड़ जारी है.

यह सुरक्षित सीट है. इसलिए एनडीए का उम्मीदवार भी पिछड़ी जाति से है. इस आधार पर एनडीए अपने खाते में पिछड़ी जातियों के वोटों को जोड़ रहा है. वह अपर कास्ट वोट को भी अपना मान कर चल रहा है. यह विधानसभा क्षेत्र नक्सल प्रभावित है. करीब 50 गांव प्रभावित हैं. लोग अब भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. पर, इन मुद्दों पर चुनाव में राजनीतिक दल चर्चा नहीं कर रहा है.

वारसलीगंज में कास्ट फैक्टर को छोड़ दिया जाए, तो बाकी चीजें कमोबेश एक जैसी हैं. आये दिन नेता पहुंच रहे हैं. मंच सज रहे हैं. मंचों से खर्च होनेवाली पूरी ऊर्जा केवल अनाप-शनाप बातों में जा रही है.

यहां की बंद पड़ी चीनी मिल का मुद्दा काफी पुराना है. पर, कोई इस पर गंभीरता से कुछ कहने को तैयार नहीं है. यहां महागंठबंधन से किस्मत आजमा रहे प्रदीप कुमार विधायक रहे हैं. उनके समर्थक-कार्यकर्ता भी दिन-रात एक कर मेहनत कर रहे हैं. पार्षद राजीव कुमार की उम्मीदवारी पर लोगों की निगाह टिकी है.

नवादा में भी महागंठबंधन और एनडीए उम्मीदवारों के बीच सीधी टक्कर के आसार हैं. यहां महागंठबंधन से राजद ने पूर्व विधायक राजवल्लभ प्रसाद हैं.

मुकाबले के लिए यहां एनडीए ने रालोसपा के उम्मीदवार के रूप में इंद्रदेव कुशवाहा को लाया है. महागंठबंधन के कार्यकर्ता समीकरण को अपने पक्ष में करने में जुटे हैं. पर, एनडीए उम्मीदवार को भी वे हल्के में नहीं ले रहे. यहां यादव व भूमिहार मतदाताओं की बहुलता है. इन दोनों समूहों के वोटरों पर दोनों प्रमुख गंठबंधनों की नजर है. हिसुआ और गोविंदपुर के हिसाब भी अलग नहीं हैं.

इन क्षेत्रों में भी लोगों के हितों की बातें नहीं हो रहीं. न हिसुआ को अनुमंडल बनाये जाने पर कोई बोल रहा है, न ही गोविंदपुर को नक्सलवाद की चपेट से कैसे मुक्त कराया जाये, इस पर कोई आवाज उठा रहा. ककोलत का मुद्दा गायब है. वैसे, इन दोनों इलाकों में एक-एक उम्मीदवारों ने दोनों प्रमुख गंठबंधनों के उम्मीदवारों के बीच की लड़ाई को त्रिकोणीय बना रखा है.

हिसुआ में सपा उम्मीदवार नीतू सिंह की मौजूदगी से यह कहना कठिन है कि यहां की जंग बस कौशल यादव और अनिल सिंह के बीच है. गोविंदपुर में निर्दलीय कामरान ने लड़ाई को दिलचस्प बनाने की हर संभव कोशिश की है. उनके चलते यहां की लड़ाई भी फूला देवी और पूर्णिमा यादव के बीच ही नहीं रह कर त्रिकोणीय दिखने लगी है. गोविंदपुर को कौशल यादव – पूर्णिमा यादव की पुश्तैनी सीट के रूप में भी लोग देखते हैं.

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