वाशिंगटन : वर्ष 2000 की शुरुआत में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा कश्मीर पर अपनी शांति पहल के तहत हुर्रियत नेताओं को रिहा किये जाने के बाद पाकिस्तान के शासक परवेज मुशर्रफ और उनके शीर्ष राजनयिक भारत के साथ वार्ता के रुख पर पूरी तरह पलट गये थे. वर्ष 2000 में ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं की रिहाई से पहले और उसके बाद शीर्ष अमेरिकी एवं पाकिस्तानी अधिकारियों के बीच बातचीत से पता चलता है कि पाकिस्तानी नेता हुर्रियत नेताओं को रिहा करवाने के लिए अमेरिका से अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने की गुहार लगा रहे थे.
यह बातचीत अब सार्वजनिक किये गये गोपनीय दस्तावेजों में से कुछ में दर्ज है. कश्मीरी नेताओं के साथ शांति वार्ता के रोडमैप की घोषणा करने वाले वाजपेयी ने जब हुर्रियत नेताओं को रिहा कर दिया तब क्लिंटन प्रशासन ने अपने शीर्ष राजनयिकों को पाकिस्तानी नेतृत्व को जवाबी सद्भावना के लिए इस्लामाबाद भेजा. लेकिन तब पाकिस्तानी नेतृत्व अपने वादे से पलट गया.
राजनीतिक मामलों से संबंधित तत्कालीन विदेश उपमंत्री थॉमस पिकरिंग के साथ भेंट के दौरान तत्कालीन पाकिस्तानी विदेश सचिव इनामुल हक ने अमेरिकियों को इस बात का आश्वासन देने से इनकार कर दिया कि नियंत्रण रेखा पर पूर्ण संघर्षविराम की दिशा में उनके प्रयासों के तहत पाकिस्तान आतंकवादियों को नियंत्रण रेखा पार नहीं करने देगा.