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Budget 2020: पहले ये शब्दावली समझ लीजिए, बजट को समझना होगा आसान

नयी दिल्लीः मोदी सरकार अब से थोड़ी ही देर बाद अपनी दूसरी पारी का दूसरा बजट 2020-21 पेश करेगी. देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करेंगी. बजट पेश से पहले आम लोगों में यह चर्चा होने लगती है कि किस चीज की कीमत बढ़ेगी या किस पर राहत मिलेगी. […]

नयी दिल्लीः मोदी सरकार अब से थोड़ी ही देर बाद अपनी दूसरी पारी का दूसरा बजट 2020-21 पेश करेगी. देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करेंगी. बजट पेश से पहले आम लोगों में यह चर्चा होने लगती है कि किस चीज की कीमत बढ़ेगी या किस पर राहत मिलेगी. बजट में ऐसे कई शब्दों का इस्तेमाल होता है जो हमारी आम जानकारी में नहीं होते हैं. हालांकि बजट शब्दावली से परिचित होना बहुत जरूरी है क्योंकि बजट सीधे आपसे जुड़ा है और यह बजट आपके घर के खर्चे भी निर्धारित करता है.

बजटः सबसे पहले तो हमें बजट के बारे में ही जानना होगा. बजट मूल रूप से लैटिन शब्द ‘बोजटे’ शब्द से बना है जिसका मतलब होता है चमड़े का थैला. पुराने जमाने में व्यापारी अपने रुपये-पैसे या कहें छोटे-मोटे खजाने चमड़े के थैले में रखा करते थे. धीरे-धीरे यह परंपरा राजकाज में भी शामिल हो गयी. तब के राजाओं के खजांची भी अपना हिसाब-किताब चमड़े के बैग में ही रखने लगे. ब्रिटेन में जब पहली बार बजट पेश किया गया तो वित्त मंत्री ने अपना आर्थिक लेखाजोखा लाल चमड़े के बैग मे ही रखकर ले गए. लैटिन का बोजटे शब्द यहां बदल कर अंग्रेजी में बजट हो गया.

बजट की शब्दावली

01. बजट घाटा (Budgetary deficit): बजट घाटा की स्थिति तब पैदा होती है जब खर्चे, राजस्व से अधिक हो जाते हैं. इसमें सरकार की कर्ज देनदारी शामिल नहीं होती.

02. सब्सिडी (Subsidies): आर्थिक असमानता दूर करने के लिए सरकार की ओर से आम लोगों को दिया जाने वाला आर्थिक लाभ सब्सिडी कहा जाता है. जैसे एलपीजी सिलिंडर के गैस भराने वाले गरीबों को सरकार सब्सिडी देकर उसे सस्ता कर देती है. यह नकद भी हो सकता है, लेकिन अब ज्यादातर सब्सिडी डीबीटी के द्वारा यानी सीधे लाभार्थी के खाते में डाला जाता है. कंपनियों को सब्सिडी टैक्स छूट के तौर पर दी जाती है ताकि औद्योगिक गतिविधियां बढ़ें और रोजगार पैदा हो.

03. डायरेक्ट टैक्स (Direct taxes): किसी भी व्यक्ति और संस्थानों की आय और उसके स्रोत पर इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स के जरिए लगता है.

04. इनडायरेक्ट टैक्स (Indirect taxes): इनडायरेक्ट टैक्स उत्पादित वस्तुओं और सर्विस, आयात-निर्यात होने वाले प्रोडक्ट पर उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क आदि लगता है.

05. राजकोषीय घाटा (Fiscal deficit): राजकोषीय घाटा सरकार के कुल खर्च और राजस्व प्राप्तियों और गैर कर्जपूंजी प्राप्तियों के जोड़ के बीच का अंतर होता है.

06. आयकर (Income tax): किसी भी व्यक्ति की आय और अन्य स्रोतों से होने वाली आय पर लगने वाले टैक्स को इनकम टैक्स कहते हैं.

07. कॉरपोरेट टैक्स (Corporate tax): कॉरपोरेट टैक्स कॉरपोरेट संस्थानों या फर्मों पर लगाया जाता है, जिसके जरिए सरकार को आमदनी होती है। जीएसटी आने के बाद से यह खत्‍म हो गई है.

08. उत्पाद शुल्क (Excise duties): देश की सीमा के भीतर बनने वाले सभी उत्पादों पर लगने वाला टैक्‍स को उत्पाद टैक्स कहते हैं। एक्‍साइज ड्यूटी को भी जीएसटी में शामिल कर लिया गया है.

09. सीमा शुल्क (Customs duties): सीमा शुल्क उन वस्तुओं पर लगता है, जो देश में आयात की जाती है या फिर देश के बाहर निर्यात की जाती है.

10. सेनवैट (CENVAT): यह केंद्रीय वैल्‍यू एडेड टैक्‍स है, जो मैन्युफैक्चरर पर लगाया जाता है. इसे साल 2000-2001 में पेश किया गया था.

11. बैलेंस बजट (Balanced budget): एक केंद्रीय बजट बैलेंस बजट तब कहलाता है, जब वर्तमान प्राप्तियां मौजूदा खर्चों के बराबर होती हैं.

12. बैलेंस ऑफ पेमेंट (Balance of payments): देश और बाकी दुनिया के बीच हुए वित्तीय लेनदेन के हिसाब को भुगतान संतुलन या बैलेंस ऑफ पेमेंट कहा जाता है.

13. बांड (Bond): यह कर्ज का एक सर्टिफिकेट होता है, जिसे कोई सरकार या कॉरपोरेशन जारी करती है ताकि पैसा जुटाया जा सके.

14. विनिवेश (Disinvestment): सरकार द्वारा किसी पब्लिक इंस्टिट्यूट में अपनी हिस्सेदारी बेचकर राजस्‍व जुटाने की प्रक्रिया विनिवेश कहलाता है.

15. जीडीपी (GDP): जीडीपी एक वित्तीय वर्ष में देश की सीमा के भीतर उत्पादित कुल वस्तुओं और सेवाओं का कुल जोड़ होता है.

16. राजस्व प्राप्तियां (Revenue Receipts): ऐसी प्राप्तियां जिनके लौटाने का दायित्व सरकार का नही हो या जिनके साथ किसी संपत्ति की बिक्री नही जुड़ी हों, राजस्व प्राप्तियां कहलाती हैं. इन प्राप्तियों के कारण सरकार की देयता (liability) में बढ़त नही होती है. इनको कर राजस्व (इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, जीएसटी इत्यादि) और गैर-कर राजस्व (ब्याज, फीस, लाभांश) में बांटा जा सकता है.

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