।। दक्षा वैदकर ।।
ऑफिसों में कई तरह की बातें होती हैं. कई काम की होती हैं, जो थोड़ा जोर से या सभी के सामने भी बोली जा सकती हैं और कुछ गॉसिप होती हैं, जो फुसफुसा कर या धीमी आवाज में की जाती है. अकसर हम गॉसिप को नकारात्मक तरीके से देखते हैं, लेकिन यदि इसका फायदा सही तरीके से उठाया जाये, तो यह बहुत काम की होती है.
गॉसिप को भी ध्यान से सुनना जरूरी है, क्योंकि कई बार यह कंपनी के लिए फायदेमंद भी होती है. इससे आपको पता चलता है कि किस-किस कर्मचारी के बीच मतभेद हैं. इस तरह आप उनके रिश्ते को बेहतर बनाने के लिए प्रयास कर सकते हैं. यह भी हो सकता है कि किन्हीं दो व्यक्तियों की बनती नहीं हो, जिसकी वजह से वे एक-दूसरे के काम को नुकसान पहुंचा रहे हों और इससे कंपनी का नुकसान हो रहा हो. गॉसिप से यह भी पता चलता है कि कौन व्यक्ति, कंपनी और अपने साथी कर्मचारियों के बारे में क्या सोचता है. किस व्यक्ति का व्यवहार अच्छा है और किसका बुरा. कौन कम काम करता है और कौन ज्यादा. किसका शोषण हो रहा है और कौन झूठ बोल कर मूवी देखने जा रहा है.
यदि आप किसी कंपनी के बॉस हैं, तो आपको ऐसे लोगों को साथ रखना भी जरूरी है, जो आप तक ऑफिस की कई बातों को पहुंचायें. इस बात का भी जरूर ध्यान दें कि जो व्यक्ति आप तक बातें पहुंचा रहा है, वह खुद कैसा है. हो सकता है कि वह भी केवल वही बातें आप तक पहुंचाता हो, जो उसे फायदा पहुंचाती हों. यह भी हो सकता है कि वह पूरे ऑफिस में खुद को आपका खास बता रहा हो और आपके नाम से लोगों को डरा रहा हो. यह भी हो सकता है कि वह बाहर वालों की बात आपको बताता हो और आपकी बातें बाहर वालों को.
इसलिए यदि आप ऐसे कर्मचारी अपने करीब रखते हैं, तो उन पर भी पूरी तरह भरोसा न करें. न उनकी बातों में आ कर कोई निर्णय लिया करें. जब तक आप उस बात की पुष्टि न कर लें, उस खास कर्मचारी के कहने पर किसी के भी बारे भी कोई गलत धारणा न बना लें.
बात पते की..
– कुछ कर्मचारी अपने दिल की बात बॉस को सीधे नहीं कह पाते. कानाफूसी करते रह जाते हैं. इस तरह आप उनकी समस्या समझ सकते हैं.
– कानाफूसी में अगर मैनेजमेंट की बुराई ज्यादा हो रही हो, तो आप स्मार्ट लीडर की तरह उसे आसानी से बातचीत कर सुलझा सकते हैं.