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महान शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद ने की प्रज्ञानंदा की जमकर तारीफ, कहा- ‘ये खिलाड़ी स्वर्णिम पीढ़ी के हैं..’

Praggnanandhaa: भारतीय युवा ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रगानानंद शतरंज विश्व कप के फाइनल में नार्वे के मौजूदा नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन से भिड़ रहे हैं. इस बीच महान शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद ने उनकी तारीफ की है. उन्होंने कि ये खिलाड़ी स्वर्णिम पीढ़ी के हैं.

Viswanathan anand praises Praggnanandhaa: भारत से इतने सारे शतरंज ग्रैंडमास्टर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपना नाम रोशन कर रहे हैं कि महान भारतीय खिलाड़ी ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद का मानना है कि मौजूदा पीढ़ी भारतीय शतरंज की स्वर्णिम पीढ़ी है. उनकी टिप्पणी ऐसे समय में आयी है जब भारतीय खिलाड़ी अजरबेजान के बाकू में चल रहे शतरंज विश्व कप में सुर्खियां बटोर रहे हैं जिसमें युवा ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रगानानंद फाइनल में नार्वे के मौजूदा नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन से भिड़ रहे हैं.

इन खिलाड़ियों की ईएलओ रेटिंग 2,700 से ज्यादा

आनंद ने एक साप्ताहिक ‘न्यूज मैग्जीन’ से बातचीत कि वह इस बात से ही हैरान थे कि ज्यादातर खिलाड़ियों की ईएलओ रेटिंग 2,700 से ज्यादा की है, विशेषकर 20 साल के कम उम्र के खिलाड़ियों की जिसे उन्होंने ‘विशेष’ करार दिया. आनंद ने कहा कि हो सकता है कि यह जल्दबाजी हो लेकिन ये खिलाड़ी स्वर्णिम पीढ़ी के हैं. उन्होंने कहा, ‘ये सभी खिलाड़ी 2,700 से ज्यादा की ईएलओ रेटिंग में शामिल हैं. और ये सभी अंडर-20 हैं. ऐसा आमतौर पर नहीं होता है, इसलिये यह वास्तव में विशेष है.’

उन्होंने कहा, ‘मैं उन्हें इसलिये स्वर्णिम पीढ़ी कह रहा हूं क्योंकि वे अगले 10 साल शीर्ष पर ही खेलते रहेंगे. निश्चित रूप से उनके करियर का चढ़ाव अलग अलग रहेगा लेकिन वे अगले 10 साल इसी तरह से बितायेंगे.’ वह इस बात से भी खुश थे कि इतने सारे भारतीय खिलाड़ी इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं जबकि उनके समय में ऐसा नहीं होता था.

अगली पीढ़ी को सलाह देने के इच्छुक हैं आनंद

आनंद ने कहा, ‘यह बहुत ही अलग तरह का अहसास है क्योंकि काफी लंबे समय तक टूर्नामेंट में एकमात्र मैं भारत की चुनौती पेश करता था.’ हालांकि हाल के समय में शतरंज के खेल में वह बदलाव महसूस करते हैं लेकिन वह अगली पीढ़ी को सलाह देने के इच्छुक हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं अपने अनुभव साझा करूंगा, विशेषकर मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक. लेकिन शतरंज में ही इतना बदलाव हो हो चुका है. जब मैं बड़ा हो रहा था तो हम लोगों को यह बताने की कोशिश करते थे कि आप बेहतर चाल कैसे चलोगे? लेकिन अब कम्प्यूटर आपको तुरंत ही सर्वश्रेष्ठ चाल बता देता है और वो भी इतनी जल्दी, इसलिये सोच लगभग समाप्त ही हो गयी है.’

प्रज्ञानानंदा और कार्लसन के बीच फाइनल की पहली बाजी ड्रॉ

भारतीय ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंदा ने मंगलवार को यहां फिडे विश्व कप शतरंज टूर्नामेंट के फाइनल की पहली क्लासिकल बाजी में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को बराबरी पर रोका. भारत के 18 साल के ग्रैंडमास्टर ने अपने से अधिक अनुभवी और बेहतर रैंकिंग वाले खिलाड़ी के खिलाफ प्रभावशाली प्रदर्शन किया और सफेद मोहरों से खेलते हुए विरोधी खिलाड़ी को 35 चाल के बाद ड्रॉ के लिए राजी किया. प्रज्ञानानंदा ने मैच के बाद कहा : मुझे नहीं लगता कि मैं किसी परेशानी में था. बुधवार को दो क्लासिकल मैच के मुकाबले की दूसरी बाजी में कार्लसन सफेद मोहरों से शुरुआत करेंगे और फायदे की स्थिति में रहेंगे.

प्रज्ञानानंदा ने सेमीफाइनल में दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी को हराया था

प्रज्ञानानंद ने बाद में फिडे के एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर पोस्ट की गयी वीडियो में कहा : मुझे लगा कि ‘आरबी आठ’ चाल में मुझे कुछ करना चाहिए था, लेकिन मैं अच्छी स्थिति में था और किसी जोखिम से बचना चाहता था. कार्लसन के बुधवार को खेले जानेवाले दूसरे गेम के बारे में पूछे जाने पर कहा: यह एक संघर्षपूर्ण मुकाबला होगा. वह निश्चित रूप से बहुत कड़ी मेहनत करेगा. मैं आराम करने और तरोताजा होने की कोशिश करूंगा. प्रज्ञानानंदा ने सेमीफाइनल में दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी फाबियानो करूआना को 3.5-2.5 से हरा कर उलटफेर कर फाइनल में जगह बनायी थी.

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