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झारखंड के गढ़वा में हाथियों के आतंक से बचने के लिए ग्रामीण इस तकनीक का कर रहे प्रयोग

रमकंडा (मुकेश तिवारी) : झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र से निकलकर पिछले सात वर्षों से हाथियों के समूह का आतंक झेल रहे गढ़वा जिले के रमकंडा प्रखंड के ग्रामीणों ने हाथियों के उत्पात से बचने के लिये एक नयी तकनीक का प्रयोग किया है. हाथियों के आतंक से भयभीत प्रखंड मुख्यालय के सेमरटांड़ के ग्रामीणों ने अपने घरों के चारों तरफ लकड़ी के खंभों के सहारे एलईडी बल्ब लगाया है. वहीं दीवारों के पिछले हिस्से में भी बल्ब लटकाये जाने की व्यवस्था की है, ताकि दूधिया रोशनी के कारण हाथियों का समूह गांव में न पहुंचे.

रमकंडा (मुकेश तिवारी) : झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र से निकलकर पिछले सात वर्षों से हाथियों के समूह का आतंक झेल रहे गढ़वा जिले के रमकंडा प्रखंड के ग्रामीणों ने हाथियों के उत्पात से बचने के लिये एक नयी तकनीक का प्रयोग किया है. हाथियों के आतंक से भयभीत प्रखंड मुख्यालय के सेमरटांड़ के ग्रामीणों ने अपने घरों के चारों तरफ लकड़ी के खंभों के सहारे एलईडी बल्ब लगाया है. वहीं दीवारों के पिछले हिस्से में भी बल्ब लटकाये जाने की व्यवस्था की है, ताकि दूधिया रोशनी के कारण हाथियों का समूह गांव में न पहुंचे.

गढ़वा में ग्रामीण अब मुहल्ले, गांव के चौक-चौराहों सहित सड़कों किनारे एलईडी बल्ब लगाकर हाथियों को रोकने की जुगत में हैं. ग्रामीण बताते हैं कि धान की फसल कटाई होने के बाद से देखा गया है कि अक्सर हाथियों का झुंड अंधेरा होने के कारण ही गांव में पहुंचता है. जब रात में या तो बिजली व्यवस्था बाधित रहती है या जिन घरों के आसपास रोशनी नहीं रहती है. उसी समय धान की खोज में घरों को क्षतिग्रस्त करने के साथ ही हाथियों का झुंड जानमाल को नुकसान पहुंचाता है. ऐसे में अब घरों के चारों ओर खंभे के सहारे एलईडी बल्ब लगाया गया है. बिजली रहने पर पूरी रात दूधिया रोशनी से गांव जगमगाता रहता है.

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ग्रामीणों ने बताया कि जब से इस तरह का जुगाड़ किया गया है. तब से हाथियों का झुंड गांव में नहीं पहुंचा है, लेकिन इन सब प्रयोगों के बावजूद उनके बीच इस बात का भय बना हुआ है कि कभी पूरी रात विद्युत आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में गांव में अंधेरा छा जायेगा. ऐसे में हाथियों का झुंड पुनः गांव में पहुंचकर उत्पात मचाना शुरू कर सकता है. उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों अवधेश सिंह के घर हाथियों का झुंड पहुंचकर घर, शौचालय को क्षतिग्रस्त कर दिया था. इसके साथ ही कई क्विंटल धान चट कर गये थे. वहीं एक सप्ताह बाद पुनः हाथियों ने इसी घर को दोबारा क्षतिग्रस्त कर दिया था. बचे हुये धान खाने के बाद ग्रामीणों के शोरगुल करने पर हाथी बोरी में रखे धान को टांगकर ले गये थे.

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इस तरह हाथियों के आतंक से रमकंडा प्रखंड के दक्षिणी क्षेत्र वाले बिराजपुर, मुरली, तेतरडीह, रोदो, बरवा, कुशवार, बैरिया, होमिया, दुर्जन, गोबरदाहा सहित अन्य गांव प्रत्येक वर्ष हाथियों के आतंक से प्रभावित होता है. इन इलाकों में हाथियों के आने का सिलसिला पिछले 7 वर्षों से अक्टूबर महीने से लेकर मार्च महीने तक इन्हीं गांवों के जंगलों में रहकर विभिन्न गांवों के घरों को क्षतिग्रस्त करता है. ग्रामीण बताते हैं कि मार्च तक झुंड इन्हीं इलाकों में रहकर अनाज सहित जानमाल को नुकसान पहुंचाता है. इस वर्ष खेतों में फसलों को रौंदकर बर्बाद करने के साथ ही इन्हीं गांवों में दर्जनों घरों को क्षतिग्रस्त कर चुके हैं. इनमें रमकंडा के सेमरटांड़ निवासी अवधेश सिंह, उपरटोला निवासी राजा राम, विकास कुमार, तेतरडीह गांव निवासी बुधु मांझी, बलिगढ़ गांव निवासी बीरबल गौड़, सिकंदर गौड़ एवं अनिरुद्ध गौड़ के घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया. इसके साथ ही तिलैयाटांड़ गांव निवासी शुकु सिंह के एक बछड़े को पटक कर मार डाला है. वहीं, बरवा गांव के रुबित बाखला, रबित बाखला, देनवा लकड़ा के खलिहान में दब कर बोरी में रखे गये करीब 10 क्विंटल धान खा गये थे.वहीं कुशवार गांव के एक किसान के खलिहान में धान के बोझा को खाने के बाद बचे हुए बोझा को सूंड़ में टांगकर ले गया था. इसी तरह बिचला टोला निवासी सहीद अंसारी, रोहड़ा गांव निवासी बाबूलाल साव, बिहारी राम, सीताराम कोरवा, बिहारी राम, ननकु देवार, सत्यनारायण यादव, सुखी यादव सहित बिराजपुर गांव के सीताराम साव, सिंगारी देवी, सत्यनारायण सिंह सहित कई अन्य ग्रामीणों के घरों को तोड़ चुके हैं.

हाथियों के आतंक से क्षतिग्रस्त मकान, जान माल के नुकसान होने की स्थिति में ग्रामीणों के आवेदन पर वन विभाग क्षति का आकलन कर सरकारी प्रावधान के तहत पीड़ित ग्रामीणों को मुआवजा उपलब्ध कराता है. पिछले वर्ष वन विभाग ने गढ़वा जिले के दक्षिणी वन क्षेत्र वाले रंका, रमकंडा, चिनिया, बड़गड़ एवं भंडरिया क्षेत्र में हाथियों द्वारा फसल, मवेशी और घर को नुकसान पहुंचाने के मामले में करीब 42 लाख रुपये मुआवजा पीड़ित किसानों को उपलब्ध कराया था. आंकड़ों के अनुसार, इन प्रखंडों में हाथियों ने 16 मवेशियों सहित 3 ग्रामीणों को पटक कर मार डाला था. वहीं, 8 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे. इसके साथ ही 82 किसानों की फसलों को हाथियों ने नुकसान पहुंचाया था. वहीं, 86 किसानों के सैकड़ों क्विंटल धान चट कर गये थे. इसके साथ ही हाथियों ने 111 मकानों को क्षतिग्रस्त कर दिया था. इनमें 50 मकान लगभग पूरी तरह तो, 61 मकानों को आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त किया था.

हाथियों के आतंक से स्वयं को बचाने के बारे में गढ़वा दक्षिणी वन क्षेत्र के डीएफओ अभिरूप सिन्हा बताते हैं कि एलईडी की जगह फॉक्स लाइट ज्यादा कारगर है. वहीं इस लाइट को घर-घर लगाने की जरूरत नहीं है. ग्रामीण इस लाइट को महज गांव के चारों ओर इस फॉक्स लाइट को लगाकर हाथियों के झुंड को गांव में घुसने से रोक सकते हैं. उन्होंने बताया कि इस लाइट के लगने से हाथी गांव के बाहर से ही निकल जाता है. चूंकि यह लाइट जलता और बुझता है, जो काफी चमकदार होता है. इसके साथ ही कई अन्य कारगर उपाय भी है जिससे हाथियों को गांवो में घुसने से रोका जा सकता है. जिस पर विभाग काम करने की तैयारी कर रहा है

वन प्रमंडल पदाधिकारी अभिरूप सिन्हा ने कहा कि हाथियों द्वारा उत्पात पर नियंत्रण के लिये वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये 20.57 लाख रुपये की एक योजना तैयार कर वन संरक्षक को 9 महीने पहले ही प्रस्ताव भेजा गया है. इसमें फॉक्स लाइट को भी शामिल किया गया है, लेकिन विभाग द्वारा अभी तक इस योजना की स्वीकृति नहीं मिली है. बताया कि योजना की स्वीकृति मिलने और राशि का आवंटन होते ही हाथियों से प्रभावित गांवों में इन्हें रोकने पर काम किया जायेगा.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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