Ratha Saptami 2022: 7 फरवरी, 2022 को रथ सप्तमी है. यह हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी मनाई जाती है. इस दिन सूर्य देव की पूजा-उपासना की जाती है. शास्त्रों में निहित है कि रथ सप्तमी के दिन सूर्य देव का प्रादुर्भाव हुआ है. इसके लिए रथ सप्तमी को सूर्य जयंती भी कहते हैं.
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि का प्रारंभ 07 फरवरी दिन सोमवार को प्रात: 04 बजकर 37 मिनट पर हो रहा है. इसका समापन 08 फरवरी दिन मंगलवार को सुबह 06 बजकर 15 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर रथ सप्तमी 07 फरवरी को है. इस दिन ही सूर्य जयंती या अचला सप्तमी मनाई जाएगी. माघ माह में होने के कारण इसे माघ सप्तमी भी कहते हैं.
इस दिन सुबह स्नान करके सूर्योदय के समय सूर्य भगवान को अर्घ्यदान देना चाहिए. जल में थोड़ा सा गंगाजल फूल आदि डालने चाहिए. इसके बाद घी के दीपक और लाल फूल, कपूर और धूप के साथ सूर्य भगवान की पूजा-अर्चना करनी चाहिए , और प्रभु के सामने व्रत का संपकल्प लेकर कष्टों से मुक्ति की प्रार्थना करनी चाहिए.
सनातन ग्रंथो में माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी उल्लेख निहित है. द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब को शारीरिक बल पर अत्यधिक अभिमान हो गया. इस अहंकार में शाम्ब सभी लोगों का उपहास करते रहते थे. एक बार की बात है. जब श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब ने दुर्वाशा ऋषि का उपहास कर उन्हें भरे दरबार में अपमानित कर दिया. ऐसा कहा जाता है कि दुर्वाशा ऋषि की अक्षम शारीरिक शक्ति को देखकर शाम्ब जोर-जोर से हंसने लगे थे. उस समय दुर्वाशा ऋषि भगवान श्रीकृष्ण से मिलने द्वारिका गए थे.
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रथ सप्तमी की पूर्व संध्या पर अरुणोदय के समय जगे रहना और स्नान करना बेहद आवश्यक है. यह बहुत महत्वपूर्ण है.
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स्नान के बाद नमस्कार करते हुए सूर्यदेव को जल का अर्घ्य का दें. अगर संभव हो तो सूर्यदेव को गंगाजल से अर्घ्य दें.
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अर्घ्य देते समय सूर्यदेव के अलग-अलग नामों का स्मरण करें. भगवान सूर्य के भिन्न नामों का काम से काम 12 बार जाप करें.
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भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद मिट्टी के दीए लें और उन्हें घी से भर दें और प्रज्ज्वलित करें. इसी को रथ सप्तमी पूजन कहते है.
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इस अवसर पर गायत्री मंत्र का जाप, सूर्य सहस्त्रनाम मंत्र का भी जाप करें. इसका जाप पूरे दिन करें.
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मान्यता है कि ऐसा करने से भाग्य परिवर्तन होना शुरु हो जाता है.