27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बरेली: आंवला लोकसभा सीट पर टिकट के लिए सियासत हुई गर्म, महिला नेत्री ने जातिगत आंकड़े पेशकर ठोका दावा

आंवला लोकसभा सीट से एक महिला नेत्री ने टिकट का दावा पेश किया है. यह महिला यूपी के एक बड़े सियासी घराने की बहू हैं. जातिगत समीकरणों के साथ आंवला लोकसभा से टिकट की दावेदारी पेश की हैं. इस सीट पर लंबे समय तक सवर्ण जाति के सांसदों का कब्जा रहा है.

बरेली : उत्तर प्रदेश के बरेली मंडल में 5 लोकसभा सीट हैं. यहां की सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में 3 सांसदों के टिकट कटना तय है. इसके बाद नए दावेदार अपनी अपनी दावेदारी पेश कर हैं. हालांकि, बरेली और आंवला लोकसभा सीट पर सीटिंग सांसदों का टिकट तय माना जा रहा है. बरेली लोकसभा सीट से सांसद एवं पूर्व मंत्री संतोष कुमार गंगवार और आंवला लोकसभा सीट से सांसद धर्मेंद्र कश्यप को भाजपा एक बार फिर चुनाव लड़ाने की कोशिश में है. उनके टिकट को लेकर जातिगत समीकरण साधने के लिए बरेली में ब्राह्मण और आंवला में ठाकुर समाज के नेता के हाथ में संगठन की कमान दी है. मगर, अब बरेली की आंवला लोकसभा सीट से एक महिला नेत्री ने टिकट का दावा पेश किया है.

यह महिला बड़े सियासी घराने की हैं बहू

यह महिला यूपी के एक बड़े सियासी घराने की बहू है. ससुराल ओबीसी जाति में है लेकिन खुद सवर्ण जाति से हैं. जातिगत समीकरणों के साथ आंवला लोकसभा से टिकट की दावेदारी पेश की है. इस सीट पर लंबे समय तक सवर्ण जाति के सांसदों का कब्जा रहा है. इसी को आधार बनाकर दावेदारी पेश की गई है. महिला नेत्री ने आंवला लोकसभा के जातिगत आंकड़े भी जुटाएं हैं. इसके साथ ही सजातीय समाज के लोगों से संपर्क साधा है. उनके जल्द बरेली आने की भी तैयारी है. आंवला लोकसभा सीट पर करीब 18.50 लाख मतदाता हैं. इसमें 5 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें शेखपुर, दातागंज, फरीदपुर, बिथरी चैनपुर और आंवला हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में सभी 5 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है.

Also Read: UP News : डॉन बबलू श्रीवास्तव बरेली सेंट्रल जेल से प्रयागराज रवाना, सोमवार को महिंद्रा अपहरण कांड में पेशी
पहले लोकसभा चुनाव में हिंदू महासभा ने दर्ज की जीत

बरेली की आंवला लोकसभा सीट पर 1962 में पहली बार चुनाव हुए थे. मगर, यहां पहले चुनाव में सभी को चौंकाते हुए हिंदू महासभा के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी. हालांकि, उसके बाद 1967 और 1971 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी बड़े अंतर के साथ चुनाव जीतकर सदन पहुंचे थे. 1977 के चुनाव में चली सत्ता विरोधी लहर का असर यहां भी दिखा और भारतीय लोकदल ने जीत दर्ज की. 1980 में भी कांग्रेस को यहां से जीत नहीं मिल सकी और जनता पार्टी विजयी हुई. 1984 में कांग्रेस यहां बड़े अंतर से जीती थी. मगर, 1984 के बाद से यहां कांग्रेस वापसी को तरस रही है.

सपा ने भी दर्ज की थी जीत

लोकसभा चुनाव 1989, और 1991 में भारतीय जनता पार्टी ने लगातार दो बार यहां से जीत दर्ज की. 1996 के चुनाव में बीजेपी को यहां झटका लगा और क्षेत्रीय दल समाजवादी पार्टी के कुंवर सर्वराज सिंह ने जीत दर्ज की. इसके दो साल बाद हुए 1998 के चुनाव में एक बार फिर भाजपा ने यहां से जीत दर्जी की. 1999 का चुनाव समाजवादी पार्टी के हक में गया, लेकिन 2004 में जनता दल (यू) के टिकट पर सर्वराज सिंह एक बार फिर संसद पहुंचे.

पिछले दो चुनाव में बीजेपी का इस सीट पर कब्जा है, 2009 का चुनाव मेनका गांधी ने यहां से जीता था. 2014 में इस सीट पर भाजपा को मोदी लहर का फायदा मिला और धर्मेंद्र कुमार कश्यप एकतरफा लड़ाई में जीते थे. यही हाल 2019 लोकसभा चुनाव में भी रहा है. उन्होंने सपा- बसपा महागठबंधन की प्रत्याशी रुचिविरा को करीब एक लाख वोट के अंतर से चुनाव हराया था. 2014 लोकसभा चुनावों के आंकड़ों के मुताबिक भाजपा के धर्मेंद्र कश्यप को 4,09,907 वोट मिले थे. इस चुनाव में दूसरे नंबर के उम्मीदवार सपा प्रत्याशी कुंवर सर्वराज सिंह थे. उन्हें 27.3 फीसद वोट मिले थे, जबकि, भाजपा प्रत्याशी को 41 फीसद है.

रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली

Also Read: लखनऊ में अचानक बारिश से बदला मौसम का मिजाज, इकाना स्टेडियम में चल रहा World Cup का मैच भी रुका

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें