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‘द अनबियरेबल लाइटनेस ऑफ बीइंग’ के प्रसिद्ध उपन्यासकार मिलान कुंदेरा का 94 साल की उम्र में निधन

1989 में ‘वेलवेट रिवॉल्यूशन’ ने कम्युनिस्टों को सत्ता से बाहर कर दिया था और कुंदेरा का राष्ट्र चेक गणराज्य के रूप में अस्तित्व में आया, लेकिन तब तक उन्होंने पेरिस के लेफ्ट बैंक पर अपने अपार्टमेंट में एक नया जीवन और एक अलग पहचान बना ली थी.

पेरिस : कम्युनिस्ट शासन वाले चेकोस्लोवाकिया में अपने लेखन के लिए निर्वासन का सामना करने वाले मशहूर उपन्यासकार मिलान कुंदेरा का 94 वर्ष की आयु में पेरिस में निधन हो गया. चेक मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुंदेरा का प्रसिद्ध उपन्यास ‘द अनबियरेबल लाइटनेस ऑफ बीइंग’ चेक गणराज्य की राजधानी प्राग में सोवियत टैंकों के घूमने से शुरू होता है. 1975 में उनके फ्रांस चले जाने से पहले तक प्राग उनका घर था. प्रेम और निर्वासन, राजनीति और व्यक्तिगत विषयों को एक साथ बुनते हुए कुंदेरा के उपन्यास ने आलोचकों की प्रशंसा हासिल की, जिससे उन्हें पश्चिम में व्यापक पाठक वर्ग प्राप्त हुआ.

1980 के दशक में ली फ्रांस की नागरिकता

फ्रांस का नागरिक बनने से एक साल पहले उन्होंने 1980 में ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ को एक साक्षात्कार में लेखक फिलिप रोथ को बताया था, ‘अगर किसी ने मुझसे बचपन में कहा होता कि एक दिन तुम अपने राष्ट्र को दुनिया से गायब होते देखोगे, तो मैं इसे बकवास मानता, कुछ ऐसा जिसकी मैं शायद कल्पना भी नहीं कर सकता. व्यक्ति जानता है कि वह नश्वर है, लेकिन वह यह मान लेता है कि उसके राष्ट्र के पास एक प्रकार का शाश्वत जीवन है.’

‘वेलवेट रिवॉल्यूशन’ ने कम्युनिस्टों को सत्ता से कर दिया था बाहर

वर्ष 1989 में ‘वेलवेट रिवॉल्यूशन’ ने कम्युनिस्टों को सत्ता से बाहर कर दिया था और कुंदेरा का राष्ट्र चेक गणराज्य के रूप में अस्तित्व में आया, लेकिन तब तक उन्होंने पेरिस के लेफ्ट बैंक पर अपने अपार्टमेंट में एक नया जीवन और एक अलग पहचान बना ली थी. फ्रेंच में लिखी गई उनकी अंतिम कृतियों का कभी भी चेक में अनुवाद नहीं किया गया. ‘द अनबियरेबल लाइटनेस ऑफ बीइंग’ जिसने उन्हें इतनी प्रशंसा दिलाई और 1988 में एक फिल्म बनाई गई, वह ‘वेलवेट रिवोल्यूशन’ के 17 साल बाद 2006 तक चेक गणराज्य में प्रकाशित नहीं हुई थी.

‘द जोक’ मिलान कुंदेरा का पहला उपन्यास

मिलान कुंदेरा का पहला उपन्यास ‘द जोक’ एक ऐसे युवक की दास्तान है, जिसे कम्युनिस्ट नारों की असलियत बयां करने के बाद खदानों में भेज दिया जाता है. 1968 में प्राग पर सोवियत आक्रमण के बाद चेकोस्लोवाकिया में इस किताब पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. इसी साल सिनेमा के प्रोफेसर के तौर पर कुंदेरा ने अपनी नौकरी भी खो दी थी. वह 1953 से उपन्यास और नाटक लिख रहे थे.

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निर्वासन और घर वापसी की कहानी है ‘द अनबियरेबल लाइटनेस ऑफ बीइंग’

‘द अनबियरेबल लाइटनेस ऑफ बीइंग’ प्राग से जिनेवा में निर्वासन और फिर से घर वापस आने वाले एक असंतुष्ट सर्जन की कहानी है. कम्युनिस्ट शासन के आगे झुकने से इंकार करने पर सर्जन टॉमस को खिड़की धोने का काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है और वह अपने नए पेशे के जरिए सैकड़ों महिलाओं को संबंध बनाने के लिए तैयार करता. टॉमस अंततः अपनी पत्नी टेरेजा के साथ ग्रामीण इलाकों में अपने अंतिम दिन बिताता है. जैसे-जैसे दिन बीतते हैं, उनका जीवन अधिक स्वप्निल और अधिक मूर्त होता जाता है.

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