24.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Karthigai Deepam 2022: ऐसे हुई थी  कार्तिगई दीपम मनाने की शुरूआत, इस दिन मनाई जाएगी दक्षिण भारत की दिवाली

Karthigai (Karthikai) Deepam, Date, Time, Puja Timings in 2022: मान्यता है कि मासिक कार्तिगाई दक्षिण भारत में मनाए जाने वाला सबसे पुराना पर्व है. इस साल ये पर्व 6 दिसंबर यानी मंगलवार को मनाया जाएगा.

Karthigai (Karthikai) Deepam, Date, Time, Puja Timings in 2022: मासिक कार्तिगाई यानी कार्तिगई दीपम  विशेष कर दक्षिण भारतीयों का त्योहार है और तमिलानाडु में मुख्य रूप से इसे मनाया जाता है. मान्यता है कि मासिक कार्तिगाई दक्षिण भारत में मनाए जाने वाला सबसे पुराना पर्व है. इस साल ये पर्व 6 दिसंबर यानी मंगलवार को मनाया जाएगा.

कार्तिगाई दीपम शुभ मुहूर्त

मंगलवार, दिसम्बर 6, 2022 को
कार्तिगाई नक्षत्र प्रारम्भ – दिसम्बर 06, 2022 को 08:38 am बजे
कार्तिगाई नक्षत्र समाप्त – दिसम्बर 07, 2022 को 10:25 am बजे

कैसे मनाते हैं ये त्योहार

इस त्योहार पर श्रद्धालु शाम को अपने घरों और आसपास तेल के दीपक जलाकर खुशियां मनाते हैं. तिरुवन्नामलई की पहाड़ी पर ये त्यौहार काफी प्रसिद्ध है. यहां इस दिन एक विशाल दीपक जलाया जाता है, जो पहाड़ी के चारों ओर कई किलोमीटर तक दिखाई देता है. इस दीपक को ‘महादीपम’ कहते हैं और हिन्दू श्रद्धालु यहाँ भगवान शिव की प्रार्थना करते हैं. धार्मिक मान्यताओं अनुसार दीपक का विशेष महत्व माना जाता है क्योंकि यह अंधकार की नकारात्मकता को दूर करता है.

कार्तिगई दीपम उत्सव कथा

सृष्टि के आरंभ में ब्रह्म का भेद बताने के लिए भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे. ब्रह्मा और विष्णु जो अपने को श्रेष्ठ साबित करने के लिए संघर्ष कर रहे थे,तभी उनके सामने आकाशवाणी हुई कि जो इस लिंग के आदि या अंत का पता कर सकेग, वही श्रेष्ठ माना जाएगा. भगवान विष्णु वाराह रूप में शिवलिंग के आदि का पता करने के लिए पाताल लोक चले गए और ब्रह्माजी हंस के रूप में अंत का पता लगाने आकाश में उड़ गए, लेकिन वर्षों बीत जाने पर भी दोनों आदि अंत का पता नहीं कर पाए. भगवान विष्णु हार मानकर लौट आए, लेकिन ब्रह्माजी नहीं लौटे. तभी उन्हें भगवान शिव के शीश के गिरकर आने वाले केतकी के फूल से पूछा कि शिवलिंग का अंत कहां है. केतकी ने बताया कि वह युगों से नीचे गिरता चला आ रहा है लेकिन अंत का पता नहीं चला है. ब्रह्माजी को लगा कि वह पराजित हो जाएंगे तो वह लौटकर आ गए और झूठ बोल दिया कि उन्होंने शिवलिंग के अंत का पता कर लिया है. ब्रह्माजी के झूठ से ज्योर्तिलिंग ने प्रचंड रूप धारण कर लिया जिससे सृष्टि में हाहाकर मचने लगा. देवताओं द्वार क्षमा याचना करने पर यह ज्योति तिरुमल्लई पर्वत पर अरुणाचलेश्व लिंग के रूप में स्थापित हो गया. कहते हैं यहीं से शिवरात्रि का त्योहार मनाना भी आरंभ हुआ था.

एक अन्य कथा का संबंध कुमार कार्तिकेय और मां दुर्गा से जिनके कारण कार्तिगई दीपम का त्योहार मनाया जाता है. कथा के अनुसार कुमार कार्तिकेय को 6 कृतिकाओं ने 6 अलग-अलग बालकों के रूप में पाला इन्हें देवी पार्वती ने एक बालक में परिवर्तित कर दिया उसके बाद से यह त्योहार मनाया जाने लगा.

Shaurya Punj
Shaurya Punj
रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected]

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel