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इस वजह से दिलीप कुमार ने अपने पिता को नहीं बताया था बदला हुआ नाम, ऐसा रहा उनका फिल्‍मी सफर

Dilip Kumar real Name : बॉलीवुड के दिग्‍गज अभिनेता दिलीप कुमार हमारे बीच नहीं रहे. हिंदी सिनेमाजगत के बेहतरीन अभिनेताओं में शुमार दिलीप कुमार ने हिंदुजा अस्‍पताल में आज सुबह 7.30 पर आखिरी सांस ली.

Dilip Kumar real Name : बॉलीवुड के दिग्‍गज अभिनेता दिलीप कुमार (Dilip Kumar death) हमारे बीच नहीं रहे. हिंदी सिनेमाजगत के बेहतरीन अभिनेताओं में शुमार दिलीप कुमार ने हिंदुजा अस्‍पताल में आज सुबह 7.30 पर आखिरी सांस ली. उन्‍होंने लगभग पांच दशकों तक अपने शानदार अभिनय से दर्शकों के दिलों पर राज किया. उनकी जाना वाकई सिनेजगत के लिए एक बड़ा नुकसान है. दिलीप कुमार का जन्म जन्म पेशावर (अब पाकिस्तान मे) में हुआ था. उनका असली नाम मुहम्मद युसुफ खान था.

उन्‍होंने अपना नाम एक प्रोड्यूसर के कहने पर बदला था. जिसके बाद उन्हें स्क्रीन पर दिलीप कुमार के नाम से लोग जानने लगे थे. दिलीप कुमार की पहली फिल्‍म ज्‍वार भाटा थी और इसी की प्रोड्यूसर देविका रानी ने उन्हें यह नाम दिया था. इस खुलासा खुद दिलीप कुमार ने अपनी किताब ‘दिलीप कुमारः द सब्सटेंड एंड द शैडो’ में किया था.

उन्‍होंने अपनी किताब में लिखा था, देविका रानी ने मुझसे कहा था कि मैं तुम्‍हें बतौर एक्‍टर लॉन्‍च करने की सोच रही हूं. तुम्‍हारा नाम बदलना ए‍क सही आइडिया है. तुम्‍हें कोई ऐसा नाम दिया जाना चाहिए जिससे ऑडियंस कनेक्‍ट करें और आपकी रोमांटिक इमेज बनें. आपका नाम आते ही लोगों के दिमाग में छवि बन जाये. मुझे लगता है दिलीप कुमारअच्‍छा नाम है. तुम्‍हें कैसा लगा ये नाम.

दिलीप कुमार ने अपना नाम तो बदल लिया लेकिन पिताजी को इस बारे में नहीं बताया, क्योंकि उनसे पिटाई होने का डर था. उनके पिता एक्टिंग को ‘नौटंकी’ कहा करते थे. आखिरकार दिलीप कुमार आज सबके दिलों में बसते हैं.

बता दें कि, दिलीप कुमार ने फिल्‍म ‘ज्वार भाटा’ से अपने करियर की शुरूआत की थी, जो 1944 में आई थी. 1949 में बनी अंदाज़ की सफलता ने उन्हे प्रसिद्धी दिलाई. इस फ़िल्म में उन्होंने राज कपूर के साथ काम किया था. दिदार (1951) और देवदास (1955) जैसी में दुखद भूमिकाओं से वो मशहूर हो गये और उन्हें ट्रेजिडी किंग के नाम से जाना गया. मुगले-ए-आज़म (1960) में उन्होने मुग़ल राजकुमार जहांगीर की भूमिका निभाई. यह फ़िल्म पहले ब्‍लैक एंड व्‍हाइट थी और 2004 में रंगीन बनाई गई. 1983 में फिल्म ‘शक्ति’, 1968 में ‘राम और श्याम’, 1965 में ‘लीडर’, 1961 की ‘कोहिनूर’, 1958 की ‘नया दौर’, 1954 की ‘दाग’ के लिए उन्‍हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार से नवाजा गया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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