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धनबाद रेल मंडल के स्वास्थ्य केंद्रों को है इलाज की सख्त जरूरत, 16 में से 12 सेंटर में नहीं हैं डॉक्टर

धनबाद स्थित मंडल रेल अस्पताल व सब-डिवीजनल अस्पताल, पतरातू में कुछ सुविधाएं हैं भी, पर कुल 16 स्वास्थ्य केंद्रों में से एक दर्जन केंद्र चिकित्सक विहीन हैं. यहां पदस्थापित कर्मचारी प्रतिदिन हाजिरी बनाता है

धनबाद रेल मंडल का स्वास्थ्य विभाग खुद ही बीमार है. कहने को सब कुछ है, पर हकीकत में इन स्वास्थ्य केंद्रों पर बुनियादी सुविधा भी उपलब्ध नहीं है. इस कारण रेल मंडल के एक दर्जन स्वास्थ्य केंद्र कारगर नहीं रह गये हैं. ज्ञात हो कि धनबाद रेल मंडल का इलाका बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश से लेकर मध्यप्रदेश तक फैला हुआ है. इतना ही नहीं पूर्व मध्य रेल का सबसे ज्यादा आमदनी देने वाला मंडल भी धनबाद है.

पर हेल्थ सुविधाओं के माध्यम में यह फिसड्डी साबित हो रहा है. धनबाद स्थित मंडल रेल अस्पताल व सब-डिवीजनल अस्पताल, पतरातू में कुछ सुविधाएं हैं भी, पर कुल 16 स्वास्थ्य केंद्रों में से एक दर्जन केंद्र चिकित्सक विहीन हैं. यहां पदस्थापित कर्मचारी प्रतिदिन हाजिरी बनाता है, पर कोई इलाज के लिए आ गया तो हाथ जोड़ कर दूसरी जगह जाने की बात कह चुप हो जाता है. इस वजह से सबकुछ होते हुए भी प्राइवेट अस्पताल व चिकित्सक के पास जाने की मजबूरी बन गयी है.

सर्जन विहीन है रेल मंडल

मंडल रेल अस्पताल में सर्जरी की सुविधा नहीं है, क्योंकि सर्जन का पद पिछले कई माह से रिक्त है. अगर किसी रेलकर्मी या उसके परिजन को ऑपरेशन की जरूरत पड़ जाये, तो रेलवे से टाइअप किसी प्राइवेट अस्पताल में उक्त मरीज को रेफर कर दिया जाता है.

स्वास्थ्य केंद्र बन गये सलाह केंद्र

रेल मंडल के चार स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक हैं, पर यहां भी सर्दी, खांसी, बुखार जैसी बीमारियों का इलाज होता है. कोई अन्य मामला आया तो मरीजों को मंडल रेल अस्पताल, धनबाद रेफर कर दिया जाता है. वहां सर्जरी की जरूरत पड़ी तो प्राइवेट में रेफर हो जाता है मामला.

कहां-कहां है स्वास्थ्य केंद्र

कोडरमा, बरकाकाना, चोपन, गझंडी, हजारीबाग रोड, गोमो (लोको), गोमो (मेन), भूली, धनबाद (लोको), पाथरडीह, कतरासगढ़, पतरातू (डीजल), टोरी, बरवाडीह, गढ़वा रोड तथा सिंगरौली में स्वास्थ्य केंद्र है. इनमें कोडरमा, गोमो, बरकाकाना व चोपन स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक हैं, जबकि अन्य में कोई सुविधा नहीं.

क्यों बना था स्वास्थ्य केंद्र

रेलवे ने वर्षों पहले जगह-जगह स्वास्थ्य केंद्र बनाया था, ताकि रेलयात्रियों, रेलकर्मियों तथा उनके परिजनों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा दी जा सके.

सुविधाओं में हो गयी कमी

बरकाकाना के स्वास्थ्य केंद्र में एक चिकित्सक है, पर करीब 10 माह से एंबुलेंस नहीं है. गोमो के स्वास्थ्य केंद्र (मुख्य) में भी चिकित्सक हैं पर पैथोलॉजी की सुविधा वर्षों पहले से बंद यहां एक्स रे की भी सुविधा नहीं. अन्य सेंटर भगवान भरोसे हैं.

तबीयत बिगड़ी तो भगवान ही मालिक

पतरातू से सिंगरौली के बीच 402 किमी की दूरी है. इसके बीच स्थिति टोरी, बरवाडीह तथा गढ़वा रोड स्टेशन स्थित रेलवे का स्वास्थ्य केंद्र चिकित्सक विहीन है. यात्रा के दौरान किसी यात्री की तबीयत बिगड़ी, तो भगवान ही मालिक है. इस मामले में रेलवे का स्लोगन भारतीय रेल यात्रियों की सेवा में सदैव तत्पर है, फेल है.

जीएम के समक्ष उठायेंगे मुद्दा : यूनियन

इसीआरकेयू के अपर महामंत्री मो जियाउद्दीन ने कहा कि धनबाद रेल मंडल में करीब 20 हजार रेलकर्मी कार्यरत हैं. स्वास्थ्य विभाग की स्थिति पूरी तरह से चरमरा गयी है. लैब का कॉन्ट्रैक्ट समाप्त है. चिकित्सकों की घोर कमी है. उक्त सभी समस्याओं को महाप्रबंधक के समक्ष मीटिंग में प्रमुखता से उठायेंगे.

रिपोर्ट- बेंक्टेश शर्मा, गोमो

Sameer Oraon
Sameer Oraon
इंटरनेशनल स्कूल ऑफ बिजनेस एंड मीडिया से बीबीए मीडिया में ग्रेजुएट होने के बाद साल 2019 में भारतीय जनसंचार संस्थान दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा किया. 5 साल से अधिक समय से प्रभात खबर में डिजिटल पत्रकार के रूप में कार्यरत हूं. इससे पहले डेली हंट में भी बतौर प्रूफ रीडर एसोसिएट के रूप में भी काम किया. झारखंड के सभी समसमायिक मुद्दे खासकर राजनीति, लाइफ स्टाइल, हेल्थ से जुड़े विषय पर लिखने और पढ़ने में गहरी रूचि है. तीन साल से अधिक समय से झारखंड डेस्क पर काम किया. फिर लंबे समय तक लाइफ स्टाइल डेस्क पर भी काम किया. इसके अलावा स्पोर्ट्स में भी गहरी रूचि है.

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