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ममता की टिप्पणी पर विश्वभारती के कुलपति का पलटवार, बोले : विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए कवि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर भी बाहर से आये थे

Chaos at Shantiniketan, Vice Chancellor, Visva Bharati University, Prof Bidyut Chakrabarty, West Bengal, CM Mamata Banerjee, Kavi Guru Rabindranath Tagore, Tagore wa Outsider: पश्चिम बंगाल के विश्वभारती विश्वविद्यालय में पौष मेला मैदान की चहारदीवारी पर मामला लगातार तूल पकड़ते जा रहा है. विश्वभारती विश्वविद्यालय में जारी गतिरोध के बीच कुलपति, प्रोफेसर विद्युत चक्रवर्ती ने अपने फैसले का बचाव करते हुए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर पलटवार किया. कहा कि कवि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर भी विश्व भारती की स्थापना के लिए बाहर से आये थे. कुलपति पर बाहरी लोगों को लाने के आरोप लगे हैं.

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के विश्वभारती विश्वविद्यालय में पौष मेला मैदान की चहारदीवारी पर मामला लगातार तूल पकड़ते जा रहा है. विश्वभारती विश्वविद्यालय में जारी गतिरोध के बीच कुलपति, प्रोफेसर विद्युत चक्रवर्ती ने अपने फैसले का बचाव करते हुए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर पलटवार किया. कहा कि कवि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर भी विश्व भारती की स्थापना के लिए बाहर से आये थे. कुलपति पर बाहरी लोगों को लाने के आरोप लगे हैं.

हाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था, ‘पौष मेला मैदान पर चहारदीवारी के निर्माण के समय बाहरी लोग मौजूद थे. प्रकृति की गोद में शिक्षा प्रदान करने के टैगोर के आदर्श के अनुरूप यह कार्रवाई नहीं है.’ ‘बाहरी’ लोगों की मौजूदगी के संबंध में मुख्यमंत्री की टिप्पणी के बाद कुलपति का यह बयान आया है.

केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति ने एक बयान जारी कर कहा कि औपनिवेशिक बंगाल में बोलपुर एक छोटा-सा कस्बा था. ‘टैगोर तथा बाहर से आये. उनके सहयोगियों ने वहां पर विश्वभारती स्थापित करने में मदद की और दुनिया के सबसे नवीन शैक्षणिक केंद्रों में से एक की स्थापना की.’ उन्होंने कहा, ‘गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर खुद बाहरी थे. जब विश्वभारती नहीं बना था, उनका इलाके से कोई संबंध नहीं था. गुरुदेव और उनके सहयोगियों ने ज्ञान के केंद्र के रूप में विश्वभारती को विकसित करने का मार्ग प्रशस्त किया.’

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श्री चक्रवर्ती ने कहा, ‘पौष मेला का मैदान रवींद्रनाथ टैगोर के पिता महर्षि देवेंद्रनाथ द्वारा शुरू किये गये आश्रम का हिस्सा नहीं था. यह धरोहर का हिस्सा नहीं है. भारत में धरोहर का दर्जा 100 साल पूरा कर चुके इमारतों को ही दिया जाता है. गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के निधन के 20 साल बाद पौष मेला शुरू हुआ.’ छात्रों के एक धड़े और स्थानीय लोगों ने कहा था कि पौष मेला का आयोजन स्थल विश्वविद्यालय का अखंड हिस्सा है.

स्थानीय लोगों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाया कि वह आम लोगों के लिए मैदान को अवरुद्ध करने की कोशिश कर रहा है. मैदान के दो तरफ पहले से दीवार होने का हवाला देते हुए कुलपति ने कहा कि दक्षिणी और पूर्वी हिस्से में अब भी तारबंदी नहीं है. श्री चक्रवर्ती ने कहा कि तारबंदी का काम केंद्र सरकार, यूजीसी और कैग की सुरक्षा ऑडिट की सिफारिशों के निर्देश के मुताबिक किया जा रहा है.

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केंद्रीय विश्वविद्यालय में बीते सोमवार को तब हंगामा शुरू हो गया, जब स्थानीय लोगों ने तारबंदी के खिलाफ संस्थान में तोड़फोड़ की. कुछ लोगों ने पौष मेला मैदान पर निर्माण उपकरणों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया. विश्वभारती ने मंगलवार को घटना की सीबीआइ जांच कराने और परिसर में केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग करते हुए तृणमूल कांग्रेस के विधायक और सत्तारूढ़ पार्टी के स्थानीय नेताओं पर हिंसा के लिए दोष मढ़ा. विश्वभारती ने कहा कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होने तक विश्वविद्यालय बंद रहेगा.

Posted By : Mithilesh Jha

Prabhat Khabar Digital Desk
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