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Budhwar Vrat Vidhi: बुधवार के दिन ऐसे करें पूजा, जानें पूजन विधि और जीवन में इसका महत्व

Budhvaar Ke Upay: ज्योतिष शास्त्र में यह माना जाता है कि कुंडली में बुध अगर सही स्थिति यानी उच्च स्थिति में न हो तो व्यक्ति को वाणी दोष और बुध दोष सहना पड़ता है.

मनुष्य के जीवन में ग्रहों का अत्यधिक प्रभाव होता है, भले ही कई लोग इसे सिरे से नकार देते हैं. लेकिन जानकारों की मानें तो जैसे चंद्र धरती पर ज्वार भाटा जैसी स्थितियां उत्पन्न करता है. वैसे ही मानव को भी ग्रह अपनी शक्ति से प्रभावित करते है.ज्योतिषशास्त्र के अंतर्गत बुधवार का दिन बुध ग्रह का प्रतीक है जो स्वयं वाणी और तर्किक क्षमता का प्रतिनिधित्व करते हैं.

ज्योतिष शास्त्र में यह माना जाता है कि कुंडली में बुध अगर सही स्थिति यानी उच्च स्थिति में न हो तो व्यक्ति को वाणी दोष और बुध दोष सहना पड़ता है. इन दोषों की वजह से हकलाना, तुतलाना, बोलने में आत्मविश्वास की कमी, त्वचा के रोग, बालों के रोग और खुद को दूसरों से कमतर समझना शामिल हैं. इनसे बचने के लिए ज्योतिष शास्त्र में उपाय बताए गए हैं.

बुधवार के उपाय (Budhvaar Ke Upay)

जो लोग बुध दोष या वाणी दोष के प्रभाव से परेशान हैं उन्हें देवी दुर्गा की आराधना करनी चाहिए. साथ ही संभव हो तो दुर्गा स्तुति या दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करें. दुर्गा स्तुति में यह बताया गया है कि उसका नियमित पाठ करने से ग्रहों के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है. साथ ही रोजाना ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ मंत्र का जाप करें.

बुधवार के दिन भगवान गणपति को सिंदुर अर्पित करें. साथ ही उन्हें दूर्वा की 11 या 21 गांठ भगवान गणेश के 11-21 नाम लेते हुए चढ़ाने से फल जल्दी मिलता है. संभव हो तो इस दिन मूंग की हरी दाल किसी गरीब, मजदूर या जरुरतमंद को दें.

बुध दोष और वाणी दोष से परेशान जातक को सोने के आभूषण जरूर पहनने चाहिए. अगर सोना न पहन पाएं तो निश्चित तौर पर तांबे के आभूषण पहनें. अधिक-से-अधिक हरे रंग के कपड़े पहनें और साथ ही हरे रंग की वस्तुएं दान करें.

कब से शुरू करना चाहिए ये व्रत

बुधवार का व्रत वैसे तो किसी भी महीने में शुक्ल पक्ष के बुधवार से शुरू किया जा सकता है, लेकिन इसे विशाखा नक्षत्र वाले बुधवार से शुरू करना अत्यंत शुभदायी माना जाता है. अग्निपुराण में भी विशाखा नक्षत्र वाले बुधवार से व्रत शुरू करने की बात कही गई हैं. इसके अलावा एक बार व्रत शुरू करने के बाद कम से कम 7 व्रत रहने चाहिए. अगर समस्या ज्यादा विकट है तो 21 या 24 बुधवार तक व्रत रखें. आखिरी व्रत वाले दिन इसका उद्यापन कर दें.

Prabhat Khabar Digital Desk
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