Saraswati Puja 2022: बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती (Maa Saraswati) की पूजा जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्ञान की देवी मां सरस्वती शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं. यही कारण है कि बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन पूरे विधि-विधान से मां सरस्वती की पूजा की जाती है.
मां सरस्वती पूजा में पीली और सफेद चीजों का विशेष महत्व होता है. मां सरस्वती की पूजा में सफेद तिल का लड्डू, गन्ना, एवं गन्ने का रस, पका हुआ गुड़, मधु, श्वेद चंदन, श्वेत पुष्प, सफेद या पीले वस्त्र, श्वेत अलंकार, अदरक, मूली, शर्करा, सफेद धान के अक्षत, मोदक, धृत, पके हुए केले की फली का पिष्टक, नारियल, नारियल का जल, श्रीफल, बदरीफल, ऋतुकालोभ्दव पुष्प फल आदि होना चाहिए.
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को पूजा के बाद पीली चीजों का भोग लगाना शुभ होता है. मां सरस्वती को पीले मीठे चावल, पीले लड्डू, बेर, केला, बूंदी और मालपुआ का भोग लगा सकते हैं.
मां सरस्वती की पूरे विधि विधान से पूजा करने के बाद उन्हें पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं. इसमें उन्हें बूंदी अर्पित कर सकते हैं. इसके अलावा बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए उन्हें खीर और मालपुए का भोग भी लगा सकते हैं.
बता दें कि मीठे चावल, पारंपरिक भारतीय मिठाई है जो कि खासतौर पर मां सरस्वती की पूजा के लिए आप बना सकती हैं. खोए/ मावा, शक्कर, सूखे मेवे, और केसर की भीनी-भीनी खुशबू के साथ इन चावलों को पका कर तैयार किया जाता है. इनको केसरिया चावल भी कहते हैं. मां को इस बार पूजा में इसका भोग आप लगा सकती हैं.
मूँग की दाल का हलवा खाने में स्वादिष्ट के साथ ही भोग के लिए खास है.देसी घी से बनने वाला हलवा मां के भोग के लिए काफी खास है.
विद्यादायिनी देवी सरस्वती का दिन होने के कारण बसंत पंचमी के दिन पढ़ाई-लिखाई की शुरुआत के लिए अच्छा माना जाता है. छोटे बच्चों को इस दिन अक्षर ज्ञान कराया जाता है और माना जाता है कि इससे वे पढ़ाई में अच्छे होते हैं. किसी दूसरे काम की शुरुआत करने को भी इस दिन शुभ मानते हैं.