सिलीगुड़ी: भादो महीना के शुक्लपक्ष के तृतीया को मनाये जानेवाले लोकपर्व तीज को ‘हरतालिका तीज’ कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि आज ही के दिन माता गौरी यानी पार्वती को उनकी सहेलियां पिता के घर से हरकर (अगुवा) जंगल में ले गयी थी और भगवान शंकर के लिए आराधना की. तभी से महिलाओं द्वारा आज […]
सिलीगुड़ी: भादो महीना के शुक्लपक्ष के तृतीया को मनाये जानेवाले लोकपर्व तीज को ‘हरतालिका तीज’ कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि आज ही के दिन माता गौरी यानी पार्वती को उनकी सहेलियां पिता के घर से हरकर (अगुवा) जंगल में ले गयी थी और भगवान शंकर के लिए आराधना की. तभी से महिलाओं द्वारा आज के दिन हरतालिका तीज के रुप में लोक संस्कृति को समृद्ध बनाने के लिए मनाया जाने लगा. यह लोकपर्व बिहारी और नेपाली बिरादरी की महिलाओं के लिए खास मायने रखता है.
इस दिन महिलाएं भगवान शंकर और माता गौरी (पार्वती) की पूजा-अर्चना करती हैं. साथ ही नयी नवेली दुल्हन की तरह सोलह श्रृंगार कर दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं. विवाहिताओं ने पति के दीर्घायु और पूरे परिवार में सुख, शांति और वैभव की कामना के साथ व्रत रखती हैं. वहीं, कुंआरी युवतियां भी मनचाहे पति के लिए व्रत करती हैं.
कलवार सर्ववर्गीय समाजः बिहारी बिरादरी से से जुड़े कलवार सर्वर्गीय समाज की सिलीगुड़ी इकाई की महिला विंग के बैनर तले गुरुवार को स्थानीय बर्दवान रोड स्थित कलवार भवन में महिलाओं द्वारा हरतालिका तीज सामूहिक रुप से मनाया गया. महिलाएं नयी दुल्हन की तरह सुसज्जित होकर भवन परिसर में इकट्ठी हुई और हरतालिका तीज पर आधारित लोकगीतों के साथ शंकर-गौरी की प्रतिमा की पूजा-अर्चना भी की. साथ ही तीज कथा का वाचन भी किया. तीज पर्व की खास मिठायी गुझिया और अन्य व्यंजनों का भोग भी लगाया गया. पूजा-अर्चना के बाद सबसे पहले अपने पति को प्रसाद ग्रहण कराया.
कई विवाहिताओं ने अपने पति की पसंदीदा व्यंजन व मिठायी अपने हाथों से उन्हें खिलाकर यह पर्व मनाया. तीज मनाती एक विवाहिता कविता चौधरी का कहना है कि पति के दीर्घायु, अमर सुहाग व पूरे परिवार में सुख, शांति व वैभव के लिए यह पर्व का पालन करती हैं जिसका वर्ष भर इंतजार रहता है. वहीं, एक कुंवारी युवती अनिता सिंह का कहना है कि वह मनचाहे पति की कामना के लिए दिनभर व्रत रखकर तीज का पर्व मना रही है. व्रत रखने और पर्व मनाने का उसका यह दूसरा साल है.
नेपाली बिरादरीः नेपाली बिरादरी की विवाहित महिलाओं ने यह तीज पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया. शहर के प्रधाननगर, सालुगाड़ा, डागापुर, सुकना, देवीडांगा, मिलन मोड़ इलाकों में सुबह से ही महिलाओं में पर्व को लेकर काफी उत्साह देखा गया. शहर के दार्जिलिंग मोड़ के निकट दुर्गागुड़ी स्थित नवग्रह मंदिर में भी विवाहित महिलाएं अपने पारंपरिक वेश-भूषा में सजधज कर एकसाथ इकट्ठे होकर पूरे विधि-विधान के साथ पर्व को मनाया. तीज पर आधारित लोक गीत-नृत्य प्रस्तुत कर अपनी लोक संस्कृति की झलक पेश की.