10.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

मतदाता सूची की मैपिंग प्रक्रिया हुई पूरी, एसआइआर के तहत होगी जांच

निर्वाचन आयोग ने राज्य में एसआइआर की घोषणा कर दी है. उससे पहले ज़िलों में मैपिंग और मिलान का काम पूरा हो चुका है. नवीनतम मतदाता सूची का मिलान 2002 की मतदाता सूची से किया गया है.

संवाददाता, कोलकाता

निर्वाचन आयोग ने राज्य में एसआइआर की घोषणा कर दी है. उससे पहले ज़िलों में मैपिंग और मिलान का काम पूरा हो चुका है. नवीनतम मतदाता सूची का मिलान 2002 की मतदाता सूची से किया गया है. यहीं से कुछ चौंकाने वाली जानकारियां सामने आयी हैं. इस प्रक्रिया के तहत 2002 की मतदाता सूची नवीनतम मतदाता सूची यानी 2025 की मतदाता सूची से कितनी मेल खाती है. अगर 2002 में नाम था, तो यह भी जांचा जा रहा है कि क्या वह अब भी है. मिलान कार्य पूरा होने के बाद जो डेटा सामने आ रहा है, उससे पता चलता है कि हावड़ा में 38 प्रतिशत मामलों में समानता है. वहीं हुगली में यह 56 प्रतिशत है. उत्तर 24 परगना में यह समानता 41 प्रतिशत है. दक्षिण 24 परगना में यह 45 प्रतिशत है. दक्षिण कोलकाता में यह 35 प्रतिशत, उत्तर कोलकाता में 53 प्रतिशत, पश्चिम मेदिनीपुर में 64 प्रतिशत और पूर्व मेदिनीपुर में 67 प्रतिशत है. वहीं कूचबिहार में 48 प्रतिशत मामलों में समानता है. अलीपुरदुआर में 54 प्रतिशत मामलों में समानता है, कलिम्पोंग में 65 प्रतिशत, उत्तर दिनाजपुर में 44 प्रतिशत, दक्षिण दिनाजपुर में 55 प्रतिशत, मालदा में 50 प्रतिशत, मुर्शिदाबाद में 56 प्रतिशत, नदिया में 51 प्रतिशत, पुरुलिया में 79 प्रतिशत, बांकुड़ा में 53 प्रतिशत, बीरभूम में 73 प्रतिशत, पूर्व बर्दवान में 73 प्रतिशत, पश्चिम बर्दवान में 31 प्रतिशत, झाड़ग्राम में 51 प्रतिशत है.

इस बारे में चुनाव आयोग का कहना है कि इसके कई कारण हो सकते हैं. कई मामलों में जिन ज़िलों या क्षेत्रों से 2002 में मतदाता सूची में नाम दर्ज थे, उन्होंने बाद में विभिन्न कारणों से अपना पता बदल लिया है, जिसमें कार्यस्थल बदलना, घर बदलना शामिल है. उनमें से कई ने अपने वोटर कार्ड के पते भी बदल लिये हैं. कई मामलों में कई महिला मतदाता शादी के बाद दूसरे ज़िलों में चली गयी हैं. पश्चिम बंगाल में कुल मतदाताओं की संख्या 7 करोड़ 66 लाख 37 हज़ार 529 है. इसलिए आयोग के अधिकारी मान रहे हैं कि एसआइआर शुरू होने से पहले आयोग के लिए मैदान में जाकर मैपिंग करना बेहद ज़रूरी था.

आयोग को पता चला कि किसका नाम कहां है. पूरी प्रक्रिया उसी के अनुसार आगे बढ़ेगी. आयोग उन लोगों की भी पहले से जांच करेगा, जिनके नाम हाल ही में शामिल हुए हैं, लेकिन 2002 में नहीं थे. मान लीजिए किसी का नाम 2020 में शामिल हुआ है, तो उसके माता-पिता के नाम भी 2002 की सूची में थे. बीएलओ पहले ही जांच कर लेगा, जानकारी फॉर्म में भरकर आपके घर ले जायेगा. पुराने फोटो के बगल में नया फोटो का सेक्शन होगा. आपको वहां नये फोटो के साथ बाकी जानकारी भरकर बीएलओ के पास जमा करनी होगी. लेकिन जिनका 2002 की सूची से लिंक नहीं है, यानी जिनका अपना नाम नहीं है और जिनके माता-पिता का पता नहीं चला है, उन्हें आयोग नोटिस भेजेगा. फिर सुनवाई की तारीख दी जायेगी. जानकारी का सत्यापन किया जायेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel