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नियम के बाद भी वर्चुअल माध्यम से पेशी क्यों नहीं?

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पहले ही मामलों की सुनवाई के दौरान वर्चुअल माध्यम से पेशी को मंजूरी दे दी है. इसके बावजूद आधारभूत सुविधाओं की कमी के कारण अब तक यह नियम लागू नहीं हुआ है. इसे लेकर कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश देबांग्शु बसाक और न्यायाधीश शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने सवाल उठाते हुए राज्य के मुख्य सचिव को इस संबंध में दो सप्ताह के भीतर एक हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.

कोलकाता.

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पहले ही मामलों की सुनवाई के दौरान वर्चुअल माध्यम से पेशी को मंजूरी दे दी है. इसके बावजूद आधारभूत सुविधाओं की कमी के कारण अब तक यह नियम लागू नहीं हुआ है. इसे लेकर कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश देबांग्शु बसाक और न्यायाधीश शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने सवाल उठाते हुए राज्य के मुख्य सचिव को इस संबंध में दो सप्ताह के भीतर एक हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. साथ ही, हाइकोर्ट ने राज्य प्रशासन को सभी जिलों में सर्वेक्षण करने और वास्तविक स्थिति पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है.

खंडपीठ ने यह भी कहा कि यदि यह पाया जाता है कि राज्य सरकार की पहल की कमी या धन आवंटन न होने के कारण बुनियादी ढांचे में कमियां हैं, तो उच्च न्यायालय राज्य के समेकित कोष को अटैच करके आवश्यक कार्यों के वित्तपोषण के लिए कदम उठायेगा.

देश में न्यायिक प्रक्रिया को गति देने के लिए, पिछले जुलाई में लागू हुई भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (आइएनपीसी) की धारा 254(2) में डॉक्टरों, मजिस्ट्रेटों, फॉरेंसिक विशेषज्ञों और पुलिस अधिकारियों जैसे सरकारी अधिकारियों को वर्चुअल माध्यम से पेशी या गवाही देने का प्रावधान किया गया है.

पिछले साल 26 जुलाई को, हाइकोर्ट ने राज्य की याचिका को स्वीकार करते हुए, सभी सत्र न्यायालयों, सुधार गृहों, पुलिस थानों, अस्पतालों और फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं को डॉक्टरों और पुलिस अधिकारियों सहित सरकारी कर्मचारियों की गवाही के लिए एक वर्चुअल प्रणाली लागू करने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया था. उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि सरकारी कर्मचारियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. लेकिन उसके बाद भी, राज्य ने न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति शब्बर रशीदी की खंडपीठ से शिकायत की कि कई सत्र न्यायालय सरकारी कर्मचारियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर गवाही देने के लिए समन भेज रहे हैं. इस पर सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने राज्य के अधिवक्ता से पूछा कि क्या सभी जिलों की सत्र अदालतों में वर्चुअल माध्यम से गवाही लेने के लिए बुनियादी ढांचा मौजूद है या नहीं. इस पर राज्य के अधिवक्ता कोई सटीक जवाब नहीं दे पाये. इसके बाद ही अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव से इस संबंध में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया.

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