नौशाद सिद्दिकी ने कहा- ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पश्चिम बंगाल देश में 13वें स्थान पर पंचायत मंत्री प्रदीप मजूमदार ने केंद्र सरकार पर मदद नहीं करने का लगाया आरोप कोलकाता. इस बार बजट में राज्य सरकार ने ग्रामीण इलाकों के विकास के लिए 44 हजार 139 करोड़ 65 लाख रुपये का प्रस्ताव दिया था. गुरुवार को विधानसभा में इस पूरे बजट को वित्त विभाग ने मंजूरी दे दी. इसमें पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग की बड़ी परियोजनाओं के लिए 2822 करोड़ 7 लाख 80 हजार रुपये मंजूर किये गये. जब इस प्रस्ताव को मंजूरी मिली, उस समय सदन में भाजपा का कोई विधायक मौजूद नहीं था. सरकार की ओर से विधायक नारायण गोस्वामी, शेख शाहनवाज, श्यामल मंडल, सुकांत पाल, समीर जाना, बीना पाल व शौकत मोल्ला ने चर्चा में भाग लेते हुए अपना पक्ष रखा. विरोधी दल के रूप में आइएसएफ के विधायक नौशाद सिद्दिकी मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में हम पिछड़े हुए हैं. आंकड़ों के मुताबिक देश में इस मामले में बंगाल 13वें स्थान पर है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में प्रति व्यक्ति खर्च महज 12 रुपये है. भाजपा विधायकों की अनुपस्थिति को लेकर भी उन्होंने सवाल उठाया. सिद्दिकी ने कहा कि सत्ताधारी दल का व्यवहार उचित नहीं दिख रहा है. उनके बयान पर जवाब देते हुए पंचायत मंत्री प्रदीप मजूमदार ने केंद्र से मदद नहीं मिलने का मुद्दा उठाया. 2021 में जब भाजपा सत्ता में नहीं आयी तो ग्रामीण विकास सहित अन्य विभागों को केंद्रीय सहायता बंद कर दी गयी. तृणमूल विधायक समीर जाना ने कहा कि केंद्र सरकार की मदद के बिना राज्य सरकार अपने स्तर पर जो काम कर रही है, वह अकल्पनीय है. उन्होंने कहा कि मनरेगा का पैसा केंद्र सरकार नहीं दे रही है. बंगाल सरकार अपने पैसे से 12 लाख आवास गरीबों को दे रही है. मुख्यमंत्री पार्टी के लिए काम नहीं करती, बंगाल की जनता के लिए काम कर रही हैं. मंत्री मजूमदार ने कहा कि मुख्यमंत्री दो बार दिल्ली गयीं, कई बार चिट्ठी भेजी, इसके बाद भी कोई कदम नहीं उठाया गया. इस बार सबसे अधिक फंड पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग को उपलब्ध कराया गया है. विपक्ष के नेताओं ने आरोप लगाया था कि सरकार अगले वर्ष होने जा रहे चुनाव को लेकर यह सब कर रही है.
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