कोलकाता.
राज्य सरकार ने यहां खांसी की दवाओं की बिक्री और मार्केटिंग को लेकर कड़े कदम उठाये हैं. राज्य के ड्रग कंट्रोल डायरेक्टोरेट ने कफ सिरप बेचने और प्रचार करने वालीं कंपनियों पर निगरानी तेज करते हुए एक नया दिशा-निर्देश जारी किया है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, यह कदम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने और भविष्य में किसी भी तरह की अनहोनी से बचने के लिए उठाया गया है. यह फैसला कोल्ड्रिफ नामक खांसी की सिरप पर प्रतिबंध लगाये जाने के बाद लिया गया है. पहले यह दवा मध्यप्रदेश में प्रतिबंधित की गयी थी, जहां इसके सेवन से कई बच्चों की मौत हो गयी थी.इसके बाद बंगाल सरकार ने भी इसे अपने राज्य में बंद कर दिया. सरकार ने इसे एक एहतियाती कदम बताया है, ताकि भविष्य में किसी मासूम की जान न जाये. गाइडलाइन के अनुसार, कोई भी दुकानदार या कंपनी किसी और कंपनी द्वारा बनायी गयी दवा को अपने नाम से नहीं बेच सकेगी, जब तक कि उसके पास उस कंपनी के साथ लिखित समझौता न हो. यह प्रावधान गाइडलाइन के सेक्शन 84डी में अनिवार्य किया गया है. वहीं, धारा 84ई के तहत, जो कंपनियां दवाओं की मार्केटिंग करती हैं, उन्हें अब दवा की गुणवत्ता और कानूनी जिम्मेदारियों के लिए निर्माता कंपनी के साथ बराबर जिम्मेदार माना जायेगा.ड्रग कंट्रोल डायरेक्टोरेट ने कहा है कि जो कंपनियां पश्चिम बंगाल के बाहर से खांसी की दवाएं बनवा रही हैं और यहां बेच रही हैं. उन्हें अपने निर्माण समझौते की एक कॉपी ड्रग कंट्रोल विभाग को 15 दिनों के भीतर जमा करनी होगी. यह कॉपी आधिकारिक ईमेल पर भेजी जानी चाहिए. विभाग इन दस्तावेजों की जांच करेगा और सुनिश्चित करेगा कि सब कुछ नियमानुसार हो.
इसके साथ ही कंपनियों को यह निर्देश भी दिया गया है कि वे केंद्र सरकार द्वारा संचालित ड्रग अलर्ट पोर्टल पर नियमित नजर रखें, ताकि दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा से जुड़ीं नयी चेतावनियों की उन्हें सही समय पर जानकारी मिलती रहे.ड्रग कंट्रोल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस फैसले से बाजार में खराब या बिना लाइसेंस वाली खांसी की सिरप की बिक्री पर लगाम लगेगी. साथ ही इससे ग्राहकों का भरोसा भी बढ़ेगा कि उन्हें जो दवा मिल रही है, वह सुरक्षित है और नियमों के तहत बनी है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी जारी की थी चेतावनीगौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी बच्चों को दी जाने वाली खांसी और सर्दी की दवाओं को लेकर चेतावनी जारी की थी. मंत्रालय ने कहा था कि ऐसी दवाओं के इस्तेमाल में विशेष सावधानी बरती जाये. खासकर छोटे बच्चों के लिए इन दवाओं का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना न किया जाये.
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