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अक्षम या दागी नहीं होने पर भी और 1,803 शिक्षकों के नाम सूची से हटाये गये

राज्य सरकार ने 1,803 और शिक्षकों के नाम शिक्षकों की सूची से हटा दिये हैं, जिनकी पहचान 'अक्षम' या 'दागी' के रूप में नहीं की गयी थी.

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कोलकाता. राज्य सरकार ने 1,803 और शिक्षकों के नाम शिक्षकों की सूची से हटा दिये हैं, जिनकी पहचान ”अक्षम” या ”दागी” के रूप में नहीं की गयी थी. इस प्रक्रिया में 15,403 शिक्षकों के नामों की नयी सूची बनायी गयी है. स्कूल सर्विस कमिशन के सूत्रों के अनुसार, नयी सूची प्रत्येक जिले को पहले ही भेज दी गयी है. नयी सूची के आधार पर आने वाले दिनों में कानूनी कार्रवाई शुरू होने की उम्मीद है. सवाल यह उठता है कि क्या राज्य सरकार ने अंततः ”योग्य” उम्मीदवारों की सूची तैयार कर ली है ? यह सवाल बर्खास्त किये गये हजारों शिक्षकों को परेशान कर रहा है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2016 की भर्ती पैनल को रद्द करने का आदेश दिया था. परिणामस्वरूप, 25,735 लोगों की नौकरी चली गयी. इनमें शिक्षकों की संख्या लगभग 19 हजार (18,418) है. इसमें 17,206 शिक्षकों की सूची तैयार की गयी, जिसमें ”दागी” शिक्षकों को शामिल नहीं किया गया. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने 17 अप्रैल को यह सूची सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी. इन 17,206 लोगों की पहचान ”बेदाग” (अनटेंटेड ) के रूप में की गयी है. बोर्ड ने अनुरोध किया कि उन्हें फिलहाल स्कूल जाने की अनुमति दी जाये. अदालत ने याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जो शिक्षक “अक्षम ” नहीं हैं, वे 31 दिसंबर तक स्कूल जा सकेंगे और अपना वेतन प्राप्त कर सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों की पढ़ाई में आ रही समस्याओं को देखते हुए यह आदेश दिया. राज्य को इसी वर्ष नयी भर्ती प्रक्रिया पूरी करने को कहा गया है. वहीं 17,206 शिक्षकों में से भी कुछ शिक्षकों को बाहर रखा गया है. बोर्ड को पता चला है कि उन्हें ओएमआर शीट या उत्तर पुस्तिकाओं सहित कई मुद्दों पर परेशानी हो रही है. परिणामस्वरूप, एक नयी सूची बनायी गयी है, जिसमें 1,803 लोगों को शामिल नहीं किया गया है. सूत्रों का कहना है कि यह सूची मंगलवार रात से ही जिला डीआई कार्यालयों को भेज दी गयी है. बेरोजगार लोगों ने एसएससी कार्यालय पर धरना देकर ”योग्य-अयोग्य” सूची प्रकाशित करने की मांग की है. इसे लेकर पिछले दो दिनों से विरोध प्रदर्शन चल रहा है. शिक्षकों ने एसएससी कार्यालय को घेर कर रखा है. आयोग के अध्यक्ष सिद्धार्थ मजूमदार पूरी रात अंदर फंसे रहे. बेरोजगारों और पुलिस के बीच जमकर हाथापाई हुई. बेरोजगार शिक्षकों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने कहा कि सूची दो सप्ताह के भीतर प्रकाशित कर दी जायेगी. 21 अप्रैल से ही बेरोजगारों ने सूची की मांग को लेकर आयोग के कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, जो हिंसा के स्तर पर पहुंच गया. मंगलवार, रात एसएससी ने कहा कि वह कानून के अनुसार काम करेंगे. सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं बदला जायेगा. केवल वे ही लोग वेतन या रोजगार प्राप्त करेंगे, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार वेतन मिल रहा है. सूची जारी करने में किसी की राय न लिये जाने से असंतोष और बढ़ गया है. दो दिनों तक अपने कार्यालय में नजरबंद रहने के बाद एसएससी के अध्यक्ष सिद्धार्थ मजूमदार को बुधवार को ”रिहा” कर दिया गया. गौरतलब है कि इस संबंध में एक मामला कलकत्ता उच्च न्यायालय में लंबित था. उन्हें वहां उपस्थित होने के लिए कहा गया, इसीलिए उन्हें कार्यालय छोड़ने की अनुमति दे दी गयी लेकिन स्थिति अभी भी तनावपूर्ण है.

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