प्रतिनिधि, हुगली रोशनी की नगरी चंदननगर में इस वर्ष जगद्धात्री पूजा का उल्लास पहले से कहीं अधिक देखने को मिल रहा है. गुरुवार को महानवमी मनायी गयी और शुक्रवार को भी महानवमी के रूप में पूजा जारी रहेगी. एक अतिरिक्त दिन मिलना महानगर की पूजा समितियों के लिए सौभाग्य की बात मानी जा रही है. इससे भक्तों और दर्शकों को मंडपों की भव्यता और रचनात्मकता को देखने का अधिक अवसर मिला है. पूजा समितियों ने महीनों की मेहनत और लाखों रुपये की लागत से शानदार मंडप और बिजली तोरण तैयार किये हैं. परंपरा के अनुसार, चंदननगर में दशमी के दिन देवी का विसर्जन होता है. यदि कोई समिति शोभायात्रा में शामिल नहीं होती, तो वे एकादशी को विसर्जन करती हैं. शोभायात्रा शाम छह बजे से सुबह छह बजे तक चलती है, जो चंदननगर की अनोखी पहचान है. सर्कस मैदान पूजा कमेटी के समर मौलिक ने बताया कि इस वर्ष उनके मंडप ने 55वें वर्ष में प्रवेश किया है, और उन्होंने एक काल्पनिक मंदिर का रूप बनाया है, जिसे देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ रही है. पत्थरों से बने देवी-देवताओं का यह मंदिर सभी को आकर्षित कर रहा है. गोंदलपाड़ा अंबिका पूजा कमेटी : जंगल कटाई और पशु-पक्षियों के जीवन पर संकट जैसे पर्यावरणीय मुद्दों को आधार बनाकर एक संवेदनशील थीम को प्रस्तुत किया गया है. चंदननगर दैवकपाड़ा सर्वजनीन जगद्धात्री पूजा (53वां वर्ष) : थीम : आवाहन, बांस, पटचित्र और मिट्टी के घड़ों से सजे मंडप में सादगी और परंपरा का सुंदर संगम देखने को मिलता है. गोंदलपाड़ा आकाशगंगा के निकट रथ मेला भी दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस बार की जगद्धात्री पूजा में केवल भव्यता ही नहीं, बल्कि समाज को जागरूक करने वाले संदेश भी प्रमुख हैं. ‘मुक्ति’, ‘आवाहन’ और ‘आंख रहते अंधे’ जैसे थीम मानवता, पर्यावरण और चेतना की ओर सोचने को प्रेरित कर रहे हैं.
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