हावड़ा. तुलसी विवाह देवप्रबोधनी एकादशी पर प्रदोष काल में संपन्न होता है. इसलिए एक नवंबर शनिवार को ही एकादशी व्रत एवं तुलसी विवाह उत्सव दोनों को मनाया जाना चाहिए. विशिष्ट ज्योतिर्विद पंडित मालीराम शास्त्री ने इस संदर्भ में लोगों के संशय का निदान करते हुए बताया कि सूर्य सिद्धांत के अनुसार द्वादशी तिथि का क्षय है और छय तिथि में व्रत का पारण नहीं होता है. दो नवंबर रविवार को एकादशी तिथि मान्य नहीं हो सकती है. रविवार को द्वादशी तिथि का क्षय नहीं होता और सूर्योदय काल में एकादशी तिथि का संयोग भी होता तो रविवार को एकादशी व्रत करना उत्तम होता. अत: शास्त्र प्रमाण मानते हुए शनिवार को ही एकादशी व्रत एवं तुलसी विवाह उत्सव दोनों मनाया जाना चाहिए.
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