वेतन विवाद को लेकर आइओसीएल के बॉटलिंग संयंत्र में चल रहे विरोध प्रदर्शन पर बोले विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी
कोलकाता. महानगर से सटे बजबज इलाके में स्थित इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आइओसीएल) के बॉटलिंग संयंत्र में एलपीजी परिवहन ठेकेदारों और उनके वाहन चालकों के बीच वेतन को लेकर चला आ रहा विवाद मंगलवार रात से प्रदर्शन में तब्दील हो गया. इस आंदोलन से अस्थायी रूप से उत्पादन प्रभावित हुआ. इसके चलते तीखी राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आयीं. इस घटना को लेकर राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर इस घटना को तृणमूल कांग्रेस शासन में बढ़ती अराजकता और ””””सिंडिकेट संस्कृति”””” का प्रतीक बताया. उन्होंने दो वीडियो भी साझा किये, जिनमें प्रदर्शनकारियों को सिलिंडरों से एलपीजी गैस छोड़ते हुए देखा जा सकता है जिससे इलाके में दहशत फैल गयी. हालांकि, ””””प्रभात खबर”””” स्वतंत्र रूप से इन वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं कर सका. श्री अधिकारी ने कहा कि इस विरोध प्रदर्शन, जिसमें आक्रोशित कर्मचारियों ने सड़कों पर सिलिंडरों से गैस छोड़ दी, एक बड़ी तबाही में बदल सकता था. एक चिंगारी से पूरा बॉटलिंग संयंत्र, पास का बजबज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीबीआइटी), जगन्नाथ गुप्ता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड हॉस्पिटल और आसपास का इलाका आग की लपटों में घिर सकता था. तृणमूल कांग्रेस के बेलगाम सिंडिकेट राज के कारण लोगों की जान, संपत्ति और आजीविका खतरे में पड़ गई. उन्होंने दावा किया कि लोडिंग और अनलोडिंग के नियंत्रण को लेकर तृणमूल के प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच संघर्ष चल रहा है, जिससे कामगारों पर दबाव बढ़ा है और स्थिति खतरनाक हो गयी है. उन्होंने कहा कि यह शासन नहीं, बल्कि निर्दोष लोगों की जान को खतरे में डालने वाली एक लापरवाह सत्ता की लड़ाई है.
क्या कहना है तृणमूल प्रवक्ता देबांग्शु भट्टाचार्य का: शुभेंदु अधिकारी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता देबांग्शु भट्टाचार्य ने कहा कि यह एक ‘औद्योगिक प्रदर्शन’ था और पुलिस ने तुरंत उचित कार्रवाई की. उन्होंने आरोप लगाया कि शुभेंदु अधिकारी को पहले अपने अतीत की तरफ देखना चाहिए. वह खुद भी पहले सिंडिकेट चलाते थे और अब भी चला रहे हैं.
आइओसीएल के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि यह विवाद परिवहन ठेकेदारों और वाहन चालकों के बीच वेतन को लेकर है और कंपनी से इसका सीधा कोई संबंध नहीं है.
उन्होंने कहा कि प्रदर्शन के कारण शनिवार से डिस्पैच और उत्पादन प्रभावित हुआ. हालांकि, हमने वैकल्पिक केंद्रों से सिलेंडर की आपूर्ति सुनिश्चित की. अब बजबज प्लांट में उत्पादन फिर से शुरू हो गया है. गौरतलब है कि बजबज स्थित यह प्लांट आमतौर पर प्रतिदिन 45,000 से 50,000 एलपीजी सिलिंडर भरता है और कोलकाता में एलपीजी आपूर्ति के बड़े हिस्से की पूर्ति करता है.
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