कोलकाता
. कलकत्ता यूनिवर्सिटी की कार्यवाहक वाइस चांसलर शांता दत्ता दे को वीसी की चयन प्रक्रिया में इंटरव्यू के लिए कॉल नहीं किया गया, जिसकी काफी चर्चा हो रही है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सीयू की वीसी शांता दत्ता दे ने कहा ‘ मैंने उन्हें बहुत परेशान किया है, इसलिए मुझे कॉल नहीं किया गया’. शांता ने कहा, “मैं शायद कलकत्ता विश्वविद्यालय से जीवित एकमात्र व्यक्ति हूं, जिसके पास इस विश्वविद्यालय से 6 पदक हैं. मैंने बाद में इसी बायोडाटा के साथ पीएचडी की. मैं सर्वश्रेष्ठ ””””””””ग्रेजुएट ऑफ द ईयर”””””””” बनी. फिर भी मुझे इंटरव्यू के लिए कॉल नहीं आयेगा, मुझे इसका अहसास था’. यहां उल्लेखनीय है कि सीयू की वीसी ने 28 अगस्त को, तृणमूल छात्र परिषद की स्थापना के दिन की परीक्षा स्थगित करने के विभाग के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था और सिंडिकेट की बैठक के बाद परीक्षा तिथि को बरकरार रखा था. बताया जा रहा है कि इसके बाद शिक्षा मंत्री नाराज हो गये. इसी बात पर वीसी को कई सवालों का सामना करना पड़ा. इस बार कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति पद की चयन प्रक्रिया में उन्हें नहीं बुलाया गया. कई सरकार विरोधी फैसले लेकर उन्होंने एक मिसाल कायम की थी, इसके बाद एक तबका उनसे नाराज चल रहा है. दरअसल, शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने पहले ही कहा था कि किसी भी विश्वविद्यालय में कोई अस्थायी कुलपति नहीं होगा और सभी विश्वविद्यालयों में स्थायी कुलपति होंगे. कुलपति के चयन की प्रक्रिया चल रही है. हालांकि, कलकत्ता विश्वविद्यालय की कार्यवाहक कुलपति ने कहा कि चूंकि उन्होंने परीक्षा तिथि स्थगित करने की राज्य की मांग नहीं मानी, इसलिए योग्यता होने के बावजूद उन्हें साक्षात्कार बोर्ड के लिए नहीं बुलाया गया. उन्होंने कहा कि पहले दिन से ही उन्हें नापसंद किया गया है. पहले दिन से ही, हर कदम मुश्किलें खड़ी की गयीं. वह अभी भी कुलपति हैं, फिर भी उन्हें डीएआर नहीं मिला, और बाकी सबको मिल गया. 34 विश्वविद्यालयों से 34 लोग थे. इन 34 में से 33 को किसी न किसी विश्वविद्यालय से बुलावा आया. उन्होंने सिर्फ एक विश्वविद्यालय के लिए आवेदन किया था, वह है कलकत्ता विश्वविद्यालय, ‘लेकिन उन्होंने मुझे बुलाया ही नहीं.’ वीसी ने कहा, ‘मेरे पास ऐसा कोई रिज्यूमे नहीं है जिस पर कॉल न आये’. यूजी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में 20 साल, पीजी बोर्ड में तीन साल का अनुभव है. आइसीसी बोर्ड में पीठासीन अधिकारी के रूप में आठ साल का अनुभव है. इतना लंबा अनुभव है, फिर भी न बुलाया जाये तो क्या कहा जाये. यह एक साजिश के अलावा और क्या हो सकता है?””””मैंने नियमानुसार कार्य किया, इसलिए विरोध””
उन्होंने कहा, ””मैं यह नहीं कह रही हूं कि मुझे इंटरव्यू बोर्ड में चुना जाना चाहिए लेकिन इंटरव्यू के लिए बुलाया ही नहीं गया. ””मुझे लगता है कि 28 तारीख को प्रतिष्ठा का मुद्दा या एक समस्या बन गया है. सभी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय को दलगत राजनीति का अड्डा बनाने की कोशिश की है. मैंने नियमानुसार कार्य किया, इसीलिए मेरा विरोध हो रहा है. चयन प्रक्रिया में कॉल नहीं आने के विरोध में वीसी कोर्ट की शरण में भी जा सकती हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

