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बीएलओ को धमकी देने के आरोप में शुभेंदु के खिलाफ आयोग से शिकायत

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के समक्ष शिकायत दर्ज करायी है, जिसमें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी पर बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) को धमकी देने का आरोप लगाया गया है.

संवाददाता, कोलकाता

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के समक्ष शिकायत दर्ज करायी है, जिसमें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी पर बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) को धमकी देने का आरोप लगाया गया है. इसने मुख्य निर्वाचन अधिकारी से आग्रह किया कि वह पुलिस को नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ आपराधिक धमकी के संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दें.

वरिष्ठ तृणमूल नेता और पश्चिम बंगाल के मंत्री अरूप विश्वास ने शुक्रवार को मुख्य निर्वाचन अधिकारी को लिखे पत्र में आरोप लगाया कि शुभेंदु अधिकारी ने हाल ही में प्रेस वार्ता के दौरान बीएलओ को खुलेआम धमकी दी थी कि अगर उन्होंने उनके निर्देशों का पालन नहीं किया, तो उन्हें जेल भेज दिया जायेगा. पार्टी ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी से एसआइआर प्रक्रिया के दौरान बीएलओ और संबंधित अन्य कर्मियों के लिए राजनीतिक उत्पीड़न से सुरक्षा उपाय जारी करने का आग्रह किया. इसने यह भी मांग की कि निर्वाचन आयोग सभी राजनीतिक दलों को चेतावनी देते हुए निर्देश जारी करे कि चुनाव अधिकारियों को धमकाने का कोई भी प्रयास आपराधिक दंड को आमंत्रित करेगा. साथ ही आयोग से अनुरोध किया गया है कि बीएलओ को सुरक्षा प्रदान की जाये, ताकि वे बिना किसी राजनीतिक दबाव के अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें. तृणमूल की शिकायत के मुताबिक 29 अक्तूबर को आमतला में जगद्धात्री पूजा के उद्घाटन समारोह में भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने कथित तौर पर कहा था कि “बिहार के 52 बीएलओ जेल में हैं, अभी तक जमानत नहीं मिली है. याद रखिये, अगर किसी पार्टी की बात मानेंगे, तो आपको भी जेल जाना पड़ेगा. केवल चुनाव आयोग की बात सुनें. हमारे पास सबूत हैं. पुलिस को बाध्य होकर गिरफ्तार करना होगा.”

इस बयान को तृणमूल ने चुनावी माहौल को प्रभावित करनेवाला बताया है. पार्टी का कहना है कि बीएलओ सरकारी अधिकारी हैं और उन्हें डराने या धमकाने का कोई राजनीतिक अधिकार किसी नेता को नहीं है. तृणमूल का आरोप है कि भाजपा इस तरह की भाषा के जरिये मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (एसआइआर) की प्रक्रिया को ‘पक्षपाती’ बनाना चाहती है.

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