कोलकाता. राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बासु के बयान की कड़ी निंदा करते हुए केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजुमदार ने कहा कि मंत्री द्वारा रोहिंग्याओं की तुलना आजाद हिंद फौज के बहादुर सैनिकों से करना बहुत दुखद और निंदनीय है. जब 1944 में, दुनिया भर में मशहूर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की लीडरशिप में आजाद हिंद फौज बर्मा के रास्ते भारत में घुसी थी, तो नेहरू कांग्रेस ने उन्हें ‘घुसपैठिए’ कहकर कन्फ्यूजन फैलाया था. आज, उसी भाषा का दोबारा इस्तेमाल करने की यह गलत कोशिश भारत की आजादी और देशभक्ति के इतिहास का गहरा अपमान है. हम इस टिप्पणी का कड़ा विरोध करते हैं और उनसे तुरंत पब्लिक में माफी मांगने की मांग करते हैं. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की लीडरशिप में आजाद हिंद फौज भारत की आजादी को वापस लाने के मकसद से मणिपुर के मैरांग बॉर्डर से बर्मा (आज का म्यांमार) में घुसी थी. रोहिंग्या जिहाद करते हुए, म्यांमार की सेना द्वारा पीछा किये जाने पर, बांग्लादेश बॉर्डर से गैर-कानूनी तरीके से भारत में घुस आये हैं. नेहरू और कांग्रेस की तरह, ब्रात्य बसु भी आजाद हिंद फौज को घुसपैठिया कहना चाहते थे. आज, आजादी के 75 साल से भी ज्यादा समय बाद, फिर से उसी भाषा का इस्तेमाल करना न सिर्फ आजाद हिंद फौज के बहादुर सैनिकों का अपमान है, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का भी गहरा अपमान है.
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