कोलकाता: राज्य सरकार ने वित्त आयोग से बकाया कोयला रॉयल्टी का भुगतान करने की मांग की है. राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्र ने इस संबंध में वित्त आयोग को दो बार पत्र भी भेजा है, लेकिन अभी तक आयोग की ओर से पत्र का जवाब नहीं आया है.
कोयला रॉयल्टी के संबंध में राज्य सरकार का केंद्र पर 8000 करोड़ रुपये से अधिक कोयला रॉयल्टी का बकाया है. मंगलवार को विधानसभा के प्रश्नोत्तर काल में राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्र ने विधानसभा में विपक्ष के नेता डॉ सूर्यकांत मिश्र के सवाल के जवाब में यह जानकारी दी. श्री मित्र ने बताया कि वर्ष 2012-13 के दौरान कोयला से अधिभार के दौरान राज्य सरकार ने 1392.32 करोड़ रुपये राजस्व उगाही का लक्ष्य रखा था.
बाद में इसे संशोधित कर 2167.72 करोड़ रुपये किया गया, लेकिन राज्य सरकार को इस वर्ष 1566.92 करोड़ रुपये का राजस्व कोयला अधिभार से प्राप्त हुआ. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार केंद्रीय एजेंसियों इस्टर्न कोलफील्ड व भारत कुकिंग कोल लिमिटेड पर राजस्व उगाही के लिए आश्रित है. उन्होंने कहा कि उन लोगों ने केंद्र सरकार से कोयला रायल्टी की मांग की थी, लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि चूंकि राज्य सरकार कोयला पर अधिभार लेती है. इस कारण वह रॉयल्टी की हकदार नहीं है. हालांकि सर्वोच्च न्यायालय का इस बाबत में फैसला भी है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की यह सोच गलत है. राज्य का केंद्र पर कोयला रॉयल्टी के बाबत 8000 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है. इसके भुगतान के लिए वित्त आयोग को राज्य सरकार ने पत्र भी लिखा है.