कोलकाता : पश्चिम बंगाल के जिलों के बाद अब कोलकाता में भी आर्सेनिक का असर देखने को मिला है. दक्षिण कोलकाता के कई क्षेत्रों के पेयजल में आर्सेनिक की मात्रा सामान्य से काफी अधिक है. इसको पीने पर विभिन्न बीमारियों से ग्रसित होने का खतरा बढ़ता जा रहा है. यादवपुर यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एनवायरमेंटल […]
कोलकाता : पश्चिम बंगाल के जिलों के बाद अब कोलकाता में भी आर्सेनिक का असर देखने को मिला है. दक्षिण कोलकाता के कई क्षेत्रों के पेयजल में आर्सेनिक की मात्रा सामान्य से काफी अधिक है. इसको पीने पर विभिन्न बीमारियों से ग्रसित होने का खतरा बढ़ता जा रहा है. यादवपुर यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एनवायरमेंटल स्टडीज की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में लगभग 52 लाख लोग आर्सेनिक की चपेट में हैं.
गौरतलब है कि 1987 में राज्य में पहली बार बारुईपुर व बारासात में आर्सेनिक मिला था, जिससे कैंसर जैसे रोग भी हो सकते हैं. इसके बाद से ही आर्सेनिक की रोकथाम के लिए राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन अब महानगर के पानी में आर्सेनिक की मात्रा मिलने से सरकार की चिंता बढ़ गयी है. यादवपुर यूनिवर्सिटी ने इसी वर्ष राज्य के नौ जिलों के पानी की समीक्षा की थी, जिसमें से 117 ब्लॉक के पानी में आर्सेनिक की मात्रा पायी गयी है.
यहां के लगभग 3417 गांव के 52 लाख लोग अभी भी आर्सेनिक युक्त पानी पी रहे हैं.समीक्षा रिपोर्ट में बताया गया है कि कोलकाता शहर में यादवपुर, बांसद्रोणी, रानीकुठी, नाकतला, गरिया, बाघाजतिन, बोड़ाल व टॉलीगंज में भी भूगर्भ जल में आर्सेनिक मिला है. विशेषज्ञों का कहना है कि जमीन के नीचे से नलकूप के माध्यम से जो पानी निकाला जाता है, उसमें अधिकतर में आर्सेनिक की मात्रा काफी अधिक होती है, इसलिए आर्सेनिक से बचने का एक मात्र उपाय है कि पीने के लिए भू-सतह जल का प्रयोग किया जाये. बारिश के पानी को कार्य में लगाया जाये, साथ ही नदियों का पानी को पीने योग्य बना कर उसका प्रयोग किया जाये.
370 गुना ज्यादा आर्सेनिक
इस संबंध में यादवपुर यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एनवायरमेंटल स्टडीज के निदेशक तड़ित रायचौधरी ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन व इंडियन वाटर क्वालिटी स्टैंडर्ड के अनुसार, पानी में आर्सेनिक की सर्वोच्च मात्रा प्रति लीटर 10 माइक्रोग्राम होनी चाहिए, लेकिन कई जगहों पर इसकी मात्रा काफी अधिक है. कहीं-कहीं तो प्रति लीटर पानी में 3700 माइक्रोग्राम आर्सेनिक पाया गया है, अर्थात् सर्वोच्च मात्रा से लगभग 370 गुना अधिक.