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भांगड़ हिंसा: महंगी पड़ी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चेतावनी की अनदेखी

-ढाई वर्षों से चल रही है अराबुल और जमीन जीविका रक्षा कमिटी के बीच तनातनीकोलकाता : पंचायत चुनाव के पूर्व भांगड़ में भड़की हिंसा में एक व्यक्ति की मौत के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर पुलिस ने तृणमूल नेता अराबुल इस्लाम को गिरफ्तार कर उसे सलाखों के पीछे भेज दिया है. इस घटना […]

-ढाई वर्षों से चल रही है अराबुल और जमीन जीविका रक्षा कमिटी के बीच तनातनी
कोलकाता : पंचायत चुनाव के पूर्व भांगड़ में भड़की हिंसा में एक व्यक्ति की मौत के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर पुलिस ने तृणमूल नेता अराबुल इस्लाम को गिरफ्तार कर उसे सलाखों के पीछे भेज दिया है. इस घटना को कुछ लोग अराबुल के अस्तित्व की लड़ाई से जोड़ कर देख रहे हैं, क्योंकि पार्टी के अंदर अराबुल की पकड़ ढीली पड़ती जा रही थी.
इधर, जमीन जीविका रक्षा कमिटी के बैनर तले बने नये संगठन के आगे अराबुल के चहेते उम्मीदवारों की जीत पर अाशंका मंडरा रही थी. अराबुल के करीबियों के मुताबिक अगर उसके चहेते उम्मीदवार पराजीत होते, तो अराबुल के राजनीतिक भविष्य पर सवालिया निशान लग सकता था. बताया जाता है कि इसे भांपते हुए अराबुल ने विरोधी उम्मीदवारों को डराने के लिए उनके जुलूस पर हमला किया था. लेकिन उसका यह दांव उल्टा पड़ गया.
उल्लेखनीय है कि करीब दो हफ्ते पहले ही जमीन जीविका रक्षा कमिटी की एक महिला उम्मीदवार के दो बेटों के अपहरण का आरोप अराबुल पर लगा था. उस वक्त तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने पार्टी सुप्रीमोे ममता बनर्जी का संदेश अराबुल तक पहुंचा दिया था कि अब वह ऐसी हरकतों से बाज आयें, नहीं तो उसे सलाखों के पीछे जाना होगा. हुआ भी कुछ ऐसा ही.
शुक्रवार को अराबुल ने अपने विरोधियों को सबक सिखाने के लिए जैसे ही जुलूस पर हमला किया, उसमें विरोधी उम्मीदवार के समर्थक हाफिजुल मोल्ला की मौत हो गयी. उसके बाद हालात बेकाबू हो गये. विरोधी दल तृणमूल कांग्रेस को घेरने लगे. नतीजतन मुख्यमंत्री ने सख्त तेवर दिखाते हुए अराबुल को गिरफ्तार करने का फरमान दिया.
पार्टी में उसके विरोधी गुट कह रहे हैं कि अराबुल ने खुद को इस मुसीबत में डाला है. गिरफ्तारी के बाद उसका राजनीतिक भविष्य अब क्या होगा, इसे लेकर भी सवाल उठाने लगे हैं. इलाके के विधायक और अराबुल के घोषित विरोधी रज्जाक मोल्ला का कहना है कि दीदी के निर्देश पर वह अराबुल के साथ मिल कर काम कर रहे थे. इलाके में किसी तरह की अशांति नहीं हो, इसका खास ख्याल रखा जा रहा था. लेकिन इस बीच क्या हो गया, समझ नहीं पा रहा हूं. वहीं, अराबुल के घोर विरोधी कैसर अहमद ने इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
नये संगठन से मिल रही थी अराबुल को कड़ी चुनौती
गत ढाई वर्षों से अराबुल के साथ जमीन जीविका रक्षा कमिटी के लोगों की राजनीतिक लड़ाई चल रही है. बीते वर्ष 17 जनवरी को भांगड़ में गोली चली थी, जिसमें मफिजुल और आलमगीर नामक दो युवकों की मौत हुई थी. पंचायत चुनाव में मफिजुल के भाई को कमिटी ने उम्मीदवार बनाया है. इससे नाराज अराबुल के समर्थकों ने उसके घर पर हमला किया था.
दरअसल जमीन व जीविका रक्षा कमिटी जैसे छोटे संगठन उन्हें चुनौती दे रहा है, इसे अराबुल नहीं पचा जा रहे थे, वहीं पार्टी में रज्जाक मोल्ला व कैसर भी लगातार मजबूत होते जा रहे थे और बाहर एक नया संगठन उन्हें चुनौती दे रहा था. अराबुल का घर पोलारहाट दो नंबर पंचायत में है. 16 सदस्यीय इस पंचायत समीति में अराबुल के समर्थकों के अत्याचार से विरोधी दल का कोई भी उम्मीदवार खड़ा नहीं हो पाया.
बाद में हाइकोर्ट के आदेश पर ग्राम पंचायत के लिए आठ और पंचायत समीति के लिए एक उम्मीदवार व्हाट्सअप के माध्यम से अपना नामांकन दाखिल किया. इससे कुल नौ सीटों पर चुनाव होना तय हो गया. इस चुनाव में पराजय की आशंका को देखते हुए अराबुल बौखला गये और उन्होंने बड़े नेताओं की सलाह न मानते हुए खुद को इस मुसीबत में डाल दिया.
Prabhat Khabar Digital Desk
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