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एचएलजी मोड़ पर पथावरोध और सीएमओएच ऑफिस का किया घेराव

गतिरोध. 14 सूत्री मांगों के समर्थन में काम बंद कर आशाकर्मियों का आंदोलन होता जा रहा उग्र

23 दिसंबर से शुरू हुआ है आंदोलन, काम बंद करके कार्यालयों के समक्ष धरना देने का चल रहा कार्यक्रम, शुक्रवार को किया चक्काजाम

विधानसभा चुनाव के पहले राज्यभर में आशाकर्मियों का आंदोलन सरकार के लिए बन सकता है बड़ा सिरदर्द आसनसोल. आशाकर्मियों को सरकारी स्वीकृति देने, न्यूनतम 15 हजार रुपये वेतन देने सहित कुल 14 सूत्री मांगों के समर्थन में 23 दिसंबर से कार्य बंद करके आंदोलन कर रही आशा कर्मी अर्बन और ग्रामीण ने शुक्रवार को अपने अभियान को उग्र करते हुए एचएलजी मोड़ पर सड़क अवरोध कर दिया. उनका निर्धारित कार्यक्रम जिला के मुख्य स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओएच) कार्यालय के समक्ष धरना पर बैठना और सीएमओएच को ज्ञापन सौंपना था. सीएमओएच कार्यालय पहुंचने से पहले ही एचएलजी मोड़ पर आशा कर्मियों की सभा हुई और इसके बाद ही सड़क अवरोध कर दिया गया. आधा घंटा तक चले इस अवरोध के कारण अफरा-तफरी का माहौल बन गया. आधा घंटा बाद पथावरोध समाप्त कर आशा कर्मी हाथों में नारे लिखे तख्तियां लिये यहां से रैली करके सीएमओएच कार्यालय पहुंची और धरना पर बैठ गयी. बाद में सीएमओएच को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा. सीएमओएच ने आश्वासन दिया कि उनकी मांगों को उच्च आधिकारियों तक पहुंचा दी जायेगी. गौरतलब है कि गर्भवती महिलाओं की देखभाल, शिशु टीकाकरण, परिवार नियोजन, स्वास्थ्य शिक्षा (पोषण, स्वच्छता, स्तनपान), सरकारी योजनाओं की जानकारी लोगों तक पहुंचाना, ताकि लोग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से जुड़ सकें और स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा सकें आदि कार्य की जिम्मेदारी निभा रही आशा कर्मियों (शहरी और ग्रामीण) ने अपनी मांगों को लेकर कार्य 23 दिसंबर से कार्य बंद करके आंदोलन शुरू कर दिया है. जिसे लेकर जिला में स्वास्थ्य व्यवस्था पर असर पड़ने लगा है. आशा कर्मी सुबह ग्यारह बजे से अपरान्ह तीन बजे तक विभिन कार्यालयों पर धरना देकर चली जा रही थी. शुक्रवार को सीएमओएच कार्यालय के समक्ष जिला के सभी आशा कर्मियों का धरना का कार्यक्रम था, जिससे पहले इनलोगों सड़क अवरोध कर दिया. पुलिस ने आकर स्थिति को संभाला, हालांकि इसी दौरान एक महिला पुलिस कर्मी अस्वस्थ्य होने पर आशा कर्मियों की उनकी हर प्रकार से मदद की.

14 सूत्री मांगों को लेकर आशाकर्मियों का आंदोलन हो रहा है तेज

पौर स्वास्थ कर्मी (कंट्रैक्चुअल) यूनियन की जिला सचिव मंजू चक्रवर्ती ने बताया कि आशा कर्मियों का मानदेय 5250 रुपये से बढ़ाकर 15 हजार रुपये प्रतिमाह निर्धारित करना, कर्मियों को स्थायी करके सरकारी कर्मी का दर्जा देने, कार्य के दौरान मारे जाने या बीमारी से लाचार होने पर उनके परिवार को पांच लाख रुपये जो अवकाश ग्रहण के बाद मिलता उसका भुगतान करने, पांच माह से बकाया इंसेंटिव की राशि का तत्काल भुगतान करने, उनके कार्य क्षेत्र से बाहर यदि उन्हें ड्यूटी दी जाती है, तो उसके अतिरिक्त पैसे का भुगतान करने, सभी को पीएफ और इएसआइ के दायरे में लाने, मातृत्व अवकाश देने आदि मुख्य मांगों को लेकर आशाकर्मी कार्य बंद करके आंदोलन पर हैं. मांगें नहीं पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा.

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