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आठ-नौ जनवरी की हड़ताल से बीएमएस अलग, केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ सभी यूनियनें एकजुट
सांकतोड़िया : सरकारी कंपनियों के विनिवेश, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का प्रतिवाद, घटते रोजगार एवं श्रम कानूनों में गैर जरूरी संशोधन सहित विभिन्न मांगों के समर्थन में दस केंद्रीय यूनियनों ने जहां आठ-नौ जनवरी, 2019 को होनेवाली दोदिवसीय हड़ताल की तैयारी शुरू कर दी है, दूसरी तरफ भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने इस आंदोलन […]
सांकतोड़िया : सरकारी कंपनियों के विनिवेश, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का प्रतिवाद, घटते रोजगार एवं श्रम कानूनों में गैर जरूरी संशोधन सहित विभिन्न मांगों के समर्थन में दस केंद्रीय यूनियनों ने जहां आठ-नौ जनवरी, 2019 को होनेवाली दोदिवसीय हड़ताल की तैयारी शुरू कर दी है, दूसरी तरफ भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने इस आंदोलन से खुद को अलग कर लिया है.
भाजपा नीत एनडीए सरकार के कार्यकाल में केंद्रीय यूनियनों को तीसरी बार हड़ताल का रास्ता अख्तियार करना पड़ रहा है. सनद रहे कि दिल्ली में आयोजित संयुक्त कन्वेंशन में केंद्रीय यूनियनों ने संयुक्त रूप से हड़ताल का निर्णय लिया था.
जिन उद्योगों में हड़ताल होनी है, उनमें कोल इंडिया लिमिटेड, बाल्को, एनटीपीसी, रेलवे, निजी उपक्रम, केंद्र शासित संस्थान बीएसएनएल, बीमा आदि शामिल हैं. लेकिन बीएमएस ने हड़ताल से दूरी बना ली है. हालांकि अन्य केंद्रीय यूनियनों का दावा है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा. सभी यूनियनें एकजुट हैं. हड़ताल के समर्थन में एटक कार्यालय में हुई बैठक में हड़ताल पर चर्चा की गई.
यूनियन नेता दीपेश मिश्रा ने कहा कि सभी यूनियनों ने केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों की आलोचना की है. ठेके पर कर्मचारी रखने की व्यवस्था खत्म किए जाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इसके पहले सितंबर, 2015 और 2016 में इन्हीं मुद्दों पर एकदिवसीय हड़ताल की गई थी. इसमें 25 करोड़ मजदूर शामिल हुए थे, इस बार 50 करोड़ मजदूर इस दोदिवसीय हड़ताल का समर्थन कर सफल बनायेंगे.
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