हिंदी पुस्तकों के पाठकों की संख्या में लगातार हो रही है वृद्धि
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पुस्तक मेला: हिंदी पुस्तकों के स्टॉलों को मिले प्रधानता
हिंदी पुस्तकों के पाठकों की संख्या में लगातार हो रही है वृद्धि मेला आयोजकों से इन स्टॉलों को प्राथमिकता देने का किया आग्रह ग्राहकों के अभाव में प्रकाशकों को बुलाने में मिलती है िवफलता मेला में नहीं होते िहंदी में रंगारंग कार्यक्रम आसनसोल : शिल्पांचल में विभिन्न आयोजकों के स्तर से आयोजित होने वाले पुस्तक […]
मेला आयोजकों से इन स्टॉलों को प्राथमिकता देने का किया आग्रह
ग्राहकों के अभाव में प्रकाशकों को बुलाने में मिलती है िवफलता
मेला में नहीं होते िहंदी में रंगारंग कार्यक्रम
आसनसोल : शिल्पांचल में विभिन्न आयोजकों के स्तर से आयोजित होने वाले पुस्तक मेले में हिंदीभाषियों की कम होती भागीदारी को लेकर हिंदी भाषा एवं पुस्तक प्रेमियों की चिंता बढ़ा दी है. शिक्षाविदों एवं हिंदी के जानकारों ने इसके लिए शिल्पांचल के पुस्तक मेला के आयोजकों को जिम्मेवार बताते हुए आयोजकों को हिंदी के स्टॉल बढ़ाने का आग्रह किया है.
बीएसएनएल उपमहाप्रबंधक कार्यालय (आसनसोल) में कार्यरत हिंदी के राजभाषा अधिकारी संजय मिश्र ने कहा कि शिल्पांचल के हिंदीभाषियों में शिक्षा एवं संस्कृति के प्रति लगाव बढ़ा है. हिंदी के प्रति हिंदीभाषियों का प्रेम अब सर्वत्र देखने को मिलता है. शिल्पांचल में हिंदी से संबंधित आयोजित होने वाले कार्यक्रमों कवि सम्मेलन आदि में बढ़ोत्तरी के साथ साथ उसमें हिंदी भाषियों की भागीदारी भी बढ़ी है.
पुस्तक मेलों में बांग्ला का ही प्रभुत्व रहता है. पुस्तक मेले में जाने वाले हंिदूीभाषी पुस्तक प्रेमियों को निराशा मिलती है और वे खाली हाथ लौट आते हैं. हंिदूी के कुछ पुस्तकें कोने में सिमटी पडी रहती हैं. उन्होंने इसे आयोजकों का दायित्व बताते हुए उनके स्तर से सभी पुस्तकों की व्यवस्था किये जाने की बात कही.
हिंदी जनकल्याण मंच के अध्यक्ष अमरेंद्र सिंह ने कहा कि शिल्पांचल के पुस्तक मेलों में आयोजकों को हिंदी के स्टॉल्स और पुस्तकों को भी उतना ही महत्व देना चाहिए जितना की अन्य भाषा की पुस्तकों को. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हिंदी शिक्षा और हिंदी भाषियों को हर स्तर पर बढावा दे रही है. हिंदीवासियों के उत्थान के लिए शिल्पांचल में हिंदी कॉलेज, कई हंिदूी स्कूल्स, प्राइमरी, अपर प्राइमरी खोले जा रहे हैं. उन्होंने कहा मेले में हिंदी पुस्तकें मिलने पर हिंदीभाषियों की भीड़ अपने आप बढ़ जायेगी.
मंडल रेल कार्यालय (आसनसोल) में राजभाषा विभाग में अनुवादक पुरूषोत्तम गुप्ता ने कहा हिंदी देश में सर्वाधिक बोली जाने वाली और सर्वश्रेष्ठ संपर्क की भाषा है. देश में सबसे अधिक पुस्तकें हिंदी में ही छपती हैं, पुस्तक मेलों में हंिदूी पुस्तकों एवं स्टॉल्स को भी प्राथमिकता दी जाये. शिल्पांचल में हिंदी पुस्तक प्रेमियों की कमी नहीं है. बल्कि दिनों दिन बढती जा रही है.
हिंदी अकादमी की सचिव उमा सर्राफ ने कहा कि शिल्पांचल के पुस्तक मेला संचालकों को हिंदीभाषियों के रूचि का सम्मान करना चाहिए. उन्होंने कहा राज्य सरकार के स्तर से राज्य में हिंदीभाषियों को उन्नयन एवं विकास के हर अवसर दिये जा रहे हैं और हर मदद की जा रही है. पुस्तक मेलों पर हिंदीभाषियों की कम भीड का कारण स्टॉल्स में हिंदी पुस्तकों एवं अच्छे प्रकाशकों का अभाव बताया. उन्होंने कहा अगर मेले के स्टॉल्स को बढाया जाये और हिंदी की अच्छी पुस्तकों का संग्रह रखा जाये तो हंिदूीभाषियों की भीड का बढना स्वाभाविक है.
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