लोकसभा में कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury) ने मुख्य सूचना आयुक्त हीरालाल सामरिया के चयन के संबंध में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र में लिखा है कि '...लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता के रूप में चयन समिति का सदस्य होने के बावजूद मुझे सीआईसी/आईसी के चयन के बारे में बैठक में जो कि 3 नवंबर को प्रधानमंत्री के आवास पर आयोजित किया गया था. मुझे उस बैठक में पूरी तरह से अंधेरे में रखा गया. गौरतलब है कि मुख्य सूचना आयुक्त हीरालाल सामरिया के चयन पर विपक्ष ने सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है.
संवैधानिक परंपराएं, नियम और कायदे का किया जा रहा है उल्लंघन
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने सीआईसी की नियुक्ति को लेकर कहा है कि संवैधानिक परंपराओं का उल्लंघन किया जा रहा है. नियम और कायदे का कोई मतलब नहीं रह गया है. जब मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति की गई तो विपक्षी दलों को इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई है. क्या विपक्षी दलों को सारी चीजों की जानकारी रखने का कोई अधिकार नहीं है. जिस तरह मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति की गई है वह पूरी तरह गलत और असंवैधानिक है.
कौन हैं मुख्य सूचना आयुक्त हीरालाल सामरिया
केंद्रीय सूचना आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त बने हीरालाल सामरिया इस पद को संभालने वाले दलित समुदाय के पहले व्यक्ति हैं. हीरालाल सामरिया मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर जिले के रहने वाले हैं. सामरिया ने सरकार में कई महत्पूर्ण पदों पर काम किया है, जिनमें श्रम और रोजगार मंत्रालय में सचिव और रसायन और उर्वरक मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद शामिल हैं. सामरिया तेलंगाना कैडर के 1985 बैच के अधिकारी है. उन्हें 7 नवंबर 2020 को सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था. गौरतलब है कि 3 अक्टूबर को वाई.के. सिन्हा के कार्यकाल की समाप्ति के बाद से ही ये पद खाली था. ऐसे में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर हीरालाल सामरिया को शपथ दिलाई है.